पहले तकरार, फिर प्यार : प्रियंका की कोशिश लाई रंग या मजबूरियों ने कर दिया सपा को तंग?

प्रियंका की कोशिश लाई रंग या मजबूरियों ने कर दिया सपा को तंग?
UPT | उत्तर प्रदेश में सीट शेयरिंग पर आखिरकार बनी सहमति

Feb 21, 2024 18:50

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच उत्तर प्रदेश में सीट शेयरिंग पर आखिरकार सहमति बन गई है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका आधिकारिक तौर पर एलान कर दिया गया है। गठबंधन की पहल प्रियंका गांधी ने की।

Feb 21, 2024 18:50

Short Highlights
  • यूपी में सपा-कांग्रेस का गठबंधन कन्फर्म
  • कांग्रेस को 17 सीटें देने को तैयार हुई सपा
  • 2017 में भी हुआ था दोनों पार्टियों का गठबंधन
New Delhi : उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की आधिकारिक तौर पर घोषणा हो गई है। सपा ने कांग्रेस को यूपी की 80 सीटों में से 17 सीटें देने की बात मान ली है। खास बात ये है कि जिन 3 सीटों पर पेच फंसा हुआ था, उस पर भी पार्टियों ने अपनी सहमति से बंटवारे का फैसला कर लिया है।

कांग्रेस को मिलेंगी ये 17 सीटें
समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को जो 17 सीटें देने का फैसला किया है, उसमें अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, महाराजगंज, देवरिया, बांसगांव, सीतापुर, अमरोहा, बुलंदशहर, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, बाराबंकी, फतेहपुर सीकरी, मथुरा और सहारनपुर का नाम शामिल है।

3 सीटों पर नहीं बन पा रही थी सहमति
जानकारी के मुताबिक समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच मुरादाबाद, बलिया और बिजनौर की लोकसभा सीट को लेकर सहमति नहीं बन पा रही थी। इसमें से भी मुरादाबाद की सीट को लेकर सबसे ज्यादा घमासान था। लेकिन अंत में कांग्रेस ने सपा ने इनके बदले में सीतापुर और वाराणसी की सीट मांग ली, जिस पर वह तैयार हो गई।

प्रियंका के दखल से बन गई बिगड़ी बात
बीते रोज ही सूत्रों के हवाले से दावा किया गया था कि सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है। लेकिन इस बिगड़ी बात को आखिरकार प्रियंका गांधी ने अपनी सूझ-बूझ से संभाल लिया। प्रियंका ने पहल करते हुए अखिलेश यादव को फोन किया। दोनों नेताओं ने सीट शेयरिंग पर विस्तार से चर्चा की, जिसके बाद गठबंधन को अंतिम रूप देने का फैसला किया गया।

अखिलेश ने मजबूरी में मान ली कांग्रेस की बात?
समाजवादी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए तैयार होने का श्रेय जितना प्रियंका को जाता है, उतना ही अखिलेश को भी। दरअसल अखिलेश यादव को एक के बाद एक झटके ही मिल रहे थे। पहले जयंत चौधरी का एनडीए में शामिल होना और फिर एक-एक कर पार्टी के दिग्गज चेहरों का भाजपा का दामन थामना जाहिर तौर पर सपा की मुश्किलें बढ़ा रहा था। ऐसे में कांग्रेस के साथ गठबंधन अखिलेश की भी मजबूरी बन गई थी।

मुस्लिम-यादव समीकरण बनाए रखने की कोशिश
समाजवादी पार्टी का मूल वोट मुस्लिम और यादव समीकरण पर आधारित है। लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव में आए नतीजों ने ये साफ कर दिया था कि मुस्लिम वोट कांग्रेस के पास जा रहा है। ऐसे में अपने वोटबैंक को बचाने की कोशिश सपा को कांग्रेस के करीब ले गई और दोनों पार्टियों ने गठबंधन कर लिया।

मध्य प्रदेश में भी हुआ दोनों पार्टियों का गठबंधन
उत्तर प्रदेश के साथ मध्य प्रदेश में भी सपा और कांग्रेस ने गठबंधन कर लिया है। हालांकि यहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस ने एमपी में खजुराहो की सीट सपा को देने का फैसला किया है। एमपी में लोकसभा की 29 सीटें हैं, लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस केवल 1 सीट ही जीत पाई थी। बची 28 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।

2017 में भी हुआ था दोनों पार्टियों का गठबंधन
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भाजपा को चुनौती देने के लिए गठबंधन किया था। तब इस गठबंधन ने नारा दिया था- यूपी को ये साथ पसंद है। लेकिन विधानसभा चुनाव में हुई हार के बाद दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व ने एक-दूसरे पर जमकर हमला बोला था। लेकिन 7 साल बाद दोनों पार्टियां फिर साथ आ गई हैं।

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