3.3 लाख रुपये सैलरी, कैबिनेट मंत्री के बराबर रैंक : जानिए नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को मिलेंगी कितनी शक्तियां

जानिए नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को मिलेंगी कितनी शक्तियां
UPT | नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को मिलेंगी कितनी शक्तियां

Jun 26, 2024 15:02

राहुल गांधी को लोकसभा में नेता विपक्ष बनाया गया है। सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी। अब नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की रैंक कैबिनेट मंत्री के बराबर हो गई है।

Jun 26, 2024 15:02

Short Highlights
  • राजीव और सोनिया भी रहे नेता विपक्ष
  • 10 साल बाद कांग्रेस को मिला मौका
  • नेता प्रतिपक्ष के पास कई अहम शक्तियां
New Delhi : 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत हो चुकी है। नए सांसदों का शपथ ग्रहण पूरा हो चुका है और ओम बिरला को सदन का स्पीकर चुन लिया गया है। वहीं राहुल गांधी को लोकसभा में नेता विपक्ष बनाया गया है। मंगलवार देर रात विपक्ष के इंडिया ब्लॉक ने इस संबंध में फैसला लिया और सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी। अब नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की रैंक कैबिनेट मंत्री के बराबर हो गई है। विपक्ष का नेता बनने के बाद उन्हें क्या-क्या शक्तियां मिली है, आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।

राजीव और सोनिया भी रहे नेता विपक्ष
राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से सांसद हैं। उनकी उम्र 54 साल है। 2004 में राजनीति में प्रवेश करने वाले राहुल गांधी ने अमेठी से अपना पहला चुनाव जीता था। वह पांचवीं बार के सांसद बने हैं। राहुल के पिता राजीव गांधी और मां सोनिया गांधी भी नेता विपक्ष रह चुके हैं। राजीव गांधी 18 दिंसबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष रहे थे। उस समय विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के प्रधानमंत्री थे। वहीं सोनिया गांधी 13 अक्टूबर 1999 से 6 फरवरी 2004 तक नेता प्रतिपक्ष रही थीं। तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे।

लोकसभा के नेता विपक्ष को क्या-क्या अधिकार?
लोकसभा का नेता विपक्ष बनाए जाने के बाद राहुल गांधी के अधिकार भी बढ़ गए हैं। अब वह नेता विपक्ष के रूप में लोकपाल, सीबीआई डायरेक्टर, मुख्य चुनाव आयुक्त, चुनाव आयुक्त, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, केंद्रीय सूचना आयुक्त और मानवाधिकार आयोग के प्रमुख से जुड़ी नियुक्तियों के लिए बने पैनल में बतौर सदस्य शामिल होंगे। इन नियुक्तियों में नेता विपक्ष का रोल काफी अहम माना जाता है। इन सभी नियुक्तियों में राहुल गांधी से बतौर नेता प्रतिपक्ष प्रधानमंत्री को राय-मशविरा करना होगा। राहुल गांधी संसद की प्रमुख कमेटियों में भी शामिल होंगे और सरकार कामकाज की समीक्षा करेंगे। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी सरकार के सारे खर्चों की जांच और समीक्षा करने वाली लोक लेखा कमेटी के प्रमुख भी बन गए हैं। राहुल को सरकार के आर्थिक फैसलों की समीक्षा और उन पर टिप्पणी करने का अधिकार होगा।
 
ये सारी सुविधाएं भी मिलेंगी
नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी को इतनी सारी शक्तियां और अधिकार मिलने के बाद कई सुविधाएं भी मिलेंगी। उनकी रैंक कैबिनेट मंत्री के बराबर की होगी। राहुल को कई सुविधाओं से परिपूर्ण सरकारी बंगला मिलेगा और सचिवालय में उनका दफ्तर भी होगा। उनकी सुरक्षा पहले से ज्यादा मजबूत होगी। उन्हें मुफ्त में हवाई और रेल यात्रा करने की अनुमित होगी। इसके अलावा उन्हें सरकारी गाड़ी और उसके रख-रखाव के लिए वाहन भत्ता भी मिलेगा। इतना ही नहीं, राहुल गांधी को 3.3 लाख रुपये हर महीने सैलरी मिलेगी और हर महीने सत्कार भत्ता भी दिया जाएगा। उन्हें देश के अंदर कहीं भी जाने के लिए हर साल 48 से ज्यादा यात्राओं का भत्ता मिलेगा। इसके साथ ही टेलीफोन, सचिवीय सहायचा और चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी।

क्या काम करता है नेता प्रतिपक्ष?
नेता प्रतिपक्ष एक बेहद ही जिम्मेदारी भरा पद होता है। इस पद पर बैठा आदमी भले ही विपक्ष में बैठा होता है, लेकिन उसकी जिम्मेदारी सरकार और उसे नुमांइदों से ज्यादा होती है। सत्ता पक्ष का काम सरकार चलाना और विपक्ष की जिम्मेदारी उनके कामों की समीक्षा करना होता है। नेता प्रतिपक्ष संसद की समितियों जैसे पब्लिक अकाउंट, पब्लिक अंडरटेकिंग और एस्टिमेट पर बनाई गई कमिटी का हिस्सा होता है। विपक्ष के नेता की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका संयुक्त संसदीय समितियों और चयन समितियों में होती है। चयन समितियों के द्वारा किनकी नियुक्ति होती है, इसके बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष को शैडो प्रधानमंत्री भी कहा जाता है।

10 साल बाद कांग्रेस को मिला मौका
नेता प्रतिपक्ष के पद का जिक्र संविधान में नहीं है। हालांकि संसद चलाने के लिए बनी संसदीय संविधि में इसका उल्लेख किया गया है। 2014 और 2019 में लोकसभा में कोई भी नेता प्रतिपक्ष नहीं था। जबकि इन दोनों चुनावों में कांग्रेस देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। इसकी वजह ये है कि नेता प्रतिपक्ष के पद पर दावा करने के लिए संबंधित पार्टी के पास कम से कम 10 फीसदी सीटें होनी चाहिए, जो सीटों की संख्या से हिसाब से 54 होती हैं। लेकिन 2014 में कांग्रेस के पास 44 और 2019 में 52 सीटें थीं। यही वजह है कि 2014 और 2019 की लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रहा था।

सोनिया नहीं होंगी राहुल के साथ
शायद ये पहली बार होने जा रहा है कि राहुल गांधी लोकसभा में बैठेंगे, लेकिन उनके साथ उनकी मां सोनिया नहीं होंगी। दरअसल सोनिया ने इस बार राज्यसभा को चुना है और राहुल उनकी ही सीट से लोकसभा पहुंचे हैं। हालांकि ये भी दिलचस्प है कि राहुल के साथ पहली बार उनकी बहन प्रियंका लोकसभा में दिख सकती हैं। प्रियंका वायनाड से उपचुनाव लड़ रही हैं और अगर वह चुनाव जीत जाती हैं, तो वह पहली बार संसद पहुचेंगी। राहुल गांधी जब 2004 में पहली बार सांसद बने थे, तब उनकी ही पार्टी सत्ता में थी। जब उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था, तब उनके नेतृत्व में कांग्रेस कई चुनाव लगातार हारी थी। 2019 में मिली हार के बाद राहुल ने जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इतने सालों में अब जाकर राहुल किसी जिम्मेदारी वाले पद को स्वीकार करने को राजी हुए हैं। एक खास बात और है कि अटल बिहारी वाजपेयी के समय उनकी मां सोनिया नेता प्रतिपक्ष थीं और अब नरेंद्र मोदी के सामने राहुल गांधी होंगे।

Also Read

विराट बोले-रोहित को इतना भावुक कभी नहीं देखा, कप्तान ने कहा-यह ट्रॉफी पूरे देश की

4 Jul 2024 11:39 PM

नेशनल Team India Victory Parade : विराट बोले-रोहित को इतना भावुक कभी नहीं देखा, कप्तान ने कहा-यह ट्रॉफी पूरे देश की

टी-20 वर्ल्ड कप की विजेता टीम का मुंबई में ऐतिहासिक स्वागत हुआ। टीम के सदस्यों ने खुली बस में चढ़कर विजय जुलूस में हिस्सा लिया। इस दौरान लोगों का सैलाब मुंबई के मरीन ड्राइव से लेकर वानखेड़े स्टेडियम तक रहा। और पढ़ें