Curse To Gandhi Family : चुनाव तो जीतीं Indira, पर न खुद बची न कोई बेटा, जानें क्यों

चुनाव तो जीतीं Indira, पर न खुद बची न कोई बेटा, जानें क्यों
UPT | Curse To Gandhi Family

Feb 15, 2024 19:26

इंदिरा गांधी के लिये उस समय चुनाव जीतना बहुत मुश्किल था, 'करपात्री' जी महाराज के आशीर्वाद से इंदिरा गांधी चुनाव तो जीत गई। साथ ही इंदिरा ग़ांधी ने उनसे वादा किया था .....

Feb 15, 2024 19:26

Curse To Gandhi Family :  इंदिरा गांधी के लिये उस समय चुनाव जीतना बहुत मुश्किल था, 'करपात्री' जी महाराज के आशीर्वाद से इंदिरा गांधी चुनाव तो जीत गई। साथ ही इंदिरा ग़ांधी ने उनसे वादा किया था की चुनाव जीतने के बाद गाय के सारे कत्ल खाने बंद हो जायेंगे। जो अंग्रेजों के समय से चल रहे हैं। लेकिन इंदिरा गांधी मुसलमानों और कम्यूनिस्टों के दवाब में आकर अपने किए गए वादे से मुकर गई।

गौ हत्या निषेध आंदोलन
जब तत्कालीन प्रधानमंत्री ने संतों के इस मांग को ठुकरा दिया, जिसमें सविधान में संशोधन करके देश में गौ वंश की हत्या पर पाबन्दी लगाने की मांग की गयी थी, तो संतों ने 7 नवम्बर 1966 को संसद भवन के सामने आकर धरना देना शुरू कर दिया।

हिन्दू पंचांग के हिसाब से उस दिन विक्रमी संवत 2012 कार्तिक शुक्ल की अष्टमी थी, जिसे ” गोपाष्टमी ” के नाम से भी जाना जाता है। इस धरने में अहम संतों के नाम इस प्रकार हैं, शंकराचार्य निरंजन देव तीर्थ, स्वामी करपात्री महाराज और रामचन्द्र वीर है। राम चन्द्र वीर आमरण अनशन पर बैठ गए थे, लेकिन इंदिरा गांधी ने उन निहत्ते और शांत संतों पर पुलिस के द्वारा गोली चलवा दी, जिस से कई साधू की मौत हो गई। इस ह्त्याकांड से क्षुब्ध होकर तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने त्याग पत्र दे दिया, और इस कांड के लिए खुद को जिम्मेदार बताया था। लेकिन संत राम चन्द्र वीर अनशन पर डटे रहे जो 166 दिनों के बाद उनकी मौत के बाद ही खत्म हुआ। राम चन्द्र वीर के इस अद्वितीय और इतने लम्बे अनशन ने दुनिया के सभी रिकार्ड तोड़ दिए।

यह दुनिया की पहली एक ऐसी घटना थी जिसमें एक हिन्दू संत ने गौ माता की रक्षा के लिए 166 दिनों तक भूखे रह कर अपना बलिदान दे दिया था।

इंदिरा के वंश पर श्राप 
लेकिन निष्पक्षता का दावा करने वाले किसी भी अखबार ने इंदिरा के डर से साधुओं पर गोली चलाने और रामचन्द्र वीर के बलिदान की खबर छापने की हिम्मत नहीं दिखाई, केवल मासिक पत्रिका “आर्यावर्त” और “केसरी” ने ही यह खबर छापी। और कुछ दिनों बाद गोरखपुर से प्रकाशित मासिक पत्रिका "कल्याण" ने गौ अंक में एक विशेषांक प्रकाशित किया, जिसमें इस घटना का विस्तार से वर्णन किया गया था। और जब मीडिया वालों ने अपना मुंह बंद कर लिया तो करपात्री जी ने कल्याण के उसी अंक में इंदिरा को संबोधित करते हुए कहा, “हालांकि आपने निर्दोष संतों को मरवाया है। फिर भी मुझे इसका दुःख नहीं है. परंतु गौहत्यारों को गौहत्या की अनुमति देकर तुमने जो पाप किया है वह क्षमा के योग्य नहीं है, इसलिए आज मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि 'गोपाष्टमी' के दिन तुम्हारा वंश नष्ट हो जाएगा।

श्राप सच हो गया
जब करपात्री जी ने इंदिरा गांधी को श्राप दिया था तो वहाँ “प्रभुदत्त ब्रह्मचारी“ भी मौजूद थे, करपात्री जी ने जो भी कहा वह आगे चल कर सत्य हो गया। सबूत के लिए इन मौतों की तिथियों पर जरूर ध्यान दें।

संजय गांधी की जीस दिन मौत हुई उस दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार “गोपाष्टमी” थी।
इंदिरा की मौत आवास घर में हुई उस दिन भी गोपाष्टमी ही थी।
राजीव गांधी तमिलनाडू में मरे थे। उस दिन भी गोपाष्टमी थी।
उस दिन करपात्री जी महाराज ने उपस्थित लोगों के सामने गरज कर कहा था कि लोग भले इस घटना को भूल जाएँ लेकिन मैं इसे कभी नहीं भूल सकता। गौ माता के हत्यारे के वंशज बचेंगे नहीं चाहे वह आकाश में हो या पाताल में, चाहे घर में हो या बाहर, यह श्राप इंदिरा के वंशजों का हमेशा पीछा करता रहेगा।

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