दिल्ली-एनसीआर, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई शहरों में सुबह 6:35 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.1 मापी गई।
यूपी से दिल्ली तक भूकंप : सुबह-सुबह 7.1 तीव्रता के झटकों ने हिलाया, यहां रहा केंद्र...
Jan 07, 2025 08:31
Jan 07, 2025 08:31
भूकंप का सबसे ज्यादा असर बिहार में देखा गया। असम, सिक्किम और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में भी झटके महसूस किए गए। यूएसजीएस के अनुसार, भूकंप का केंद्र लोबुचे से 93 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में था। डरे हुए लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। विशेषज्ञों के अनुसार, सात से ऊपर की तीव्रता के भूकंप खतरनाक श्रेणी में आते हैं। नेपाल और तिब्बत में भी लोगों ने तेज झटके महसूस किए।
यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में भूकंप आया है। पिछले महीने 21 दिसंबर को नेपाल में 4.8 तीव्रता का भूकंप आया था। अप्रैल 2015 में आए 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप में करीब 9,000 लोगों की मौत हुई थी। उस भूकंप में लगभग 22,000 लोग घायल हुए थे। 800,000 से अधिक घर और स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हुए थे।
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जावेद एन मलिक के अनुसार, हिमालय में भूकंप का खतरा बना रहेगा। टेक्टोनिक प्लेट्स की अस्थिरता इसका मुख्य कारण है। पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स लगातार गतिमान रहती हैं। जहां ये प्लेट्स टकराती हैं, वह क्षेत्र फॉल्ट लाइन कहलाता है। प्लेट्स के टकराने से उनके कोने मुड़ते हैं। अधिक दबाव बनने पर प्लेट्स टूटती हैं और भूकंप आता है।
भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है जहां से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर कंपन सबसे अधिक होता है। दूरी बढ़ने के साथ कंपन का प्रभाव कम होता जाता है। सात या इससे अधिक तीव्रता के भूकंप का प्रभाव 40 किलोमीटर के दायरे में तेज होता है। कंपन की दिशा भी प्रभाव को निर्धारित करती है। यदि कंपन ऊपर की ओर है तो कम क्षेत्र प्रभावित होता है।
भूकंप की जांच रिक्टर स्केल से की जाती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। भूकंप को एक से नौ तक के पैमाने पर मापा जाता है। मापन भूकंप के केंद्र यानी एपीसेंटर से किया जाता है। धरती के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा की तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप की भयावहता का अनुमान लगाया जाता है।
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