केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार (09 अगस्त) को लोकसभा में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। इस विधेयक में महत्वपूर्ण प्रावधान किया गया है कि अब हर बैंक खाताधारक एक खाते के लिए चार तक नॉमिनी दर्ज करा सकेगा।
बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश : अगर लागू हो गया यह कानून तो जानिए क्या-क्या बदल जाएगा
Aug 09, 2024 21:12
Aug 09, 2024 21:12
- बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पेश
- विधेयक में कई बड़े बदलाव की बात
- एक खाते के लिए चार नॉमिनी बनेंगे
विधेयक में कई बड़े बदलाव की बात
विधेयक में एक अन्य महत्वपूर्ण संशोधन कंपनी निदेशकों के सबस्टेंशियल इंटरेस्ट की परिभाषा को लेकर है। वर्तमान में, इस परिभाषा के तहत 5 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है। यह संशोधन लगभग छह दशकों पुरानी सीमा को अपडेट करने के लिए किया गया है। इसका उद्देश्य वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ाना और कंपनी के निदेशकों के वास्तविक आर्थिक हित को सही ढंग से परिभाषित करना है। इस संशोधन से कानून में सुधार होगा और व्यापारिक गतिविधियों में अधिक स्पष्टता प्रदान की जाएगी।
विपक्ष के सांसदों ने किया विरोध
लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पर विरोध दर्ज किया है। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने इस बात का विरोध किया कि सहकारी समितियों और बैंकों से संबंधित कानूनों में संशोधन का अधिकार राज्यों को है। उन्होंने विधायी अधिकारों की अस्पष्टता की ओर इशारा किया और केंद्र द्वारा सहकारी समितियों पर नियंत्रण की संभावना पर सवाल उठाया। आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने एक साथ चार कानूनों में संशोधन को सदन की परंपराओं के खिलाफ बताया। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने भी विधेयक में चार कानूनों को एक साथ लाने पर आपत्ति जताई।
निर्मला सीतारमण ने दिया जवाब
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष की आपत्तियों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि बहु-सहकारी बैंक से जुड़े कानूनों में पूर्व में भी संशोधन किए जा चुके हैं और इससे छोटे खाताधारकों को लाभ हुआ है। उन्होंने बताया कि चार अलग-अलग विधेयक लाने के बजाय एक ही संशोधन विधेयक लाने से प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाया गया है। सीतारमण ने यह भी स्पष्ट किया कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम और सहकारी बैंकों के बीच संबंध को सुधारने के लिए यह विधेयक जरूरी है।
बदल जाएगी रिपोर्टिंग तारीख
विधेयक में एक और प्रावधान बैंकों को वैधानिक लेखा परीक्षकों के पारिश्रमिक को तय करने में अधिक स्वतंत्रता देने का है। यह बदलाव बैंकों को पारिश्रमिक निर्धारित करने में अधिक लचीलापन प्रदान करेगा, जिससे लेखा परीक्षकों के साथ बैंकों की कार्यक्षमता में सुधार होगा। इसके अलावा, रिपोर्टिंग तिथियों को हर महीने के दूसरे और चौथे शुक्रवार के बजाय 15वें और आखिरी दिन पुनः परिभाषित करने का प्रयास किया गया है, जो बैंकों के लिए विनियामक अनुपालन को सरल बनाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी थी मंजूरी
इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले शुक्रवार को मंजूरी दी थी। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955, बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1970 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1980 में संशोधन का प्रस्ताव है। इस विधेयक का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में सुधार करना और निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ाना है, जैसा कि वित्त मंत्री ने बजट भाषण में बताया था।
बजट भाषण में हुआ था प्रस्ताव
बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 का प्रस्ताव वित्त वर्ष 2023-24 के बजट भाषण में किया गया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह विधेयक बैंक प्रशासन में सुधार और निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए लाया गया है। उन्होंने बैंकिंग विनियमन अधिनियम और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में आवश्यक संशोधनों की बात की थी। यह विधेयक संसद में प्रस्तुत करने से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी से गुजरा है और अब इसका पारित होना बैंकिंग क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है।
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