Lok Sabha Election 2024 : सुब्रत के मुकाबले अखिलेश?….अफजाल से टकराएगा कौन, पूर्वांचल की गाजीपुर और आलू पट्टी की कन्नौज बनी हॉट सीट

सुब्रत के मुकाबले अखिलेश?….अफजाल से टकराएगा कौन, पूर्वांचल की गाजीपुर और आलू पट्टी की कन्नौज बनी हॉट सीट
UPT | Uttar Pradesh Politics

Mar 20, 2024 14:20

लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। चुनावी समर सज गया है। लाव लश्कर दुरुस्त तैयार किये जा रहे हैं, मगर कई सीटों पर अभी लड़ाके सामने नहीं आये हैं। ऐसे में जिन दो...

Mar 20, 2024 14:20

Uttar Pradesh Politics : लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। चुनावी समर सज गया है। लाव लश्कर दुरुस्त तैयार किये जा रहे हैं, मगर कई सीटों पर अभी लड़ाके सामने नहीं आये हैं। ऐसे में जिन दो सीटों पर लोगों की सबसे ज्यादा दिलचस्प है यानी हॉट सीट बनी हुई है, उनमें से एक गाजीपुर और दूसरी कन्नौज संसदीय सीट है। गाजीपुर से सपा ने बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई व बसपा के निर्वतमान सांसद अफजाल अंसारी को टिकट दिया है। पूरे पूर्वांचल की राजनीति इस सीट के समीकरणों के इर्द-गिर्द बुनी जाएगी, इसी संभावना के मद्देनजर सवाल ये है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा का लड़ाका कौन होगा ? ठीक इसी तरह 2019 में कन्नौज में “यादव का परिवार” तिलिस्म तोड़ने वाले सुब्रत पाठक को भाजपा ने फिर मैदान में उतार दिया है, ऐसे सवाल यह है कि उनसे मुकाबले के लिए यादव परिवार ही मैदान में होगा, क्या सपा मुखिया और इस सीट पर तीन बार सांसद रह चुके अखिलेश यादव क्या मैदान में कूदेंगे ? इन सवालों को लेकर दोनों संसदीय सीटों की राजनीति गरमाई हुई है।

राजनीति के विशेषज्ञ मानते हैं कि गाजीपुर से जहां पूर्वांचल की राजनीतिक समीकरण साधे जाएंगे वहीं कन्नौज से आलू पट्टी की राजनीति परवान चढ़ेगी। पर सूत्रों का कहना है कि सपा के चिंतक अभी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि क्या वह सपा मुखिया के मुकाबले में कम राजनीतिक प्रभाव वाले सुब्रत पाठक के सामने अपने दल के अध्यक्ष को चुनाव में उतारें या नहीं उतारें ?  दरअसल,  1967 से अब तक का इतिहास देखा जाए तो कन्नौज के मतदाताओं के मिजाज कभी स्थिर नहीं रहा है। वह समय काल परिस्थितियों के अनुसार खुद को बदलते रहे हैं। यहां के मतदाताओं ने जहां खाटी सोशलिस्ट डॉ.राम मनोहर लोहिया को उस समय चुनाव जिता दिया था, जब कांग्रेस के सिवा दूसरे दल के बारे में मतदाता सोचता भी नहीं था। लेकिन समय चक्र के साथ उसने जनता दल से लेकर जनता दल और भाजपा के प्रत्याशियों को भी जीत का स्वाद चखाया। यही नहीं, 2012 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने पर रिक्त हुई सीट पर उनकी पत्नी डिंपल यादव ने निर्विरोध उपचुनाव जीत कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया इतिहास रच दिया है। वैसे यह इकलौती  सीट है जहां से पिता, पुत्र और बहू तीनों चुनाव जीते हैं। ऐसे में क्या अखिलेश यादव  चौथी बार इस सीट पर भाग्य आजमाने उतरेंगे ?  या परिवार के किसी दूसरे सदस्य को इस सीट पर चुनाव लड़ने का मौका दिया जाएगा, दिलचस्पी इन्हीं सवालों पर है।

ऐसे ही गाजीपुर संसदीय सीट भी सर्वहारा की राजनीति करने वालों का गढ़ रही है। 1984 में बसपा का उदय होने से पहले इस सीट पर कम्युनिस्टों का राज होता था। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उनकी पसंदीदा पार्टी होती थी लेकिन बसपा के उदय के साथ ही इस दल का प्रभाव हो गया। अंतिम बार 1991 में सीपीआई से विश्वनाथ शास्त्री चुनाव जीते। इसके बाद जिले के बदले समीकरण में जब रॉबिनहुड पॉलिटिक्स का उदय हुआ तो सपा, भाजपा का दबदबा बढ़ने लगा। मुख्तार अंसारी के भाई और कम्युनिस्ट राजनीति से जन्मे अफजाल अंसारी ने  एक बार सपा और दूसरी बार बसपा के टिकट पर जीत हासिल की। आईआईटी से पढ़ाई करने वाले मनोज राय ने भी इस क्षेत्र में पांव जमाने में कसर नहीं छोड़ी। वह उन्होंने तीन बार इस सीट पर भगवा लहरा दिया था। अभी वह जम्मू काश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर हैं, ऐसे में अफजाल के मुकाबले में भाजपा का योद्धा कौन है ? यह सवाल  कौतूहल का विषय है। राजनीतिक विश्लेषक अब्दुल हन्नान कहते हैं कि यही वह सीट है जहां भाजपा चुनाव के आखिरी चरण में मुस्लिम माफिया परिवार बनाम शुचिता की राजनीति को हवा दे सकती है। योद्धा सामने आने पर तस्वीर और साफ होगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेश दीक्षित कहते हैं कि इस बार गाजीपुर का मतदाता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार सत्ता सौंपने के लिए वोट करने जा रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं है।

गाजीपुर संसदीय सीट
वर्ष विजेता दल
2019 अफजाल अंसारी बसपा
2014   मनोज सिन्हा भाजपा
2009 राधा मोहन सिंह  सपा
2004 अफजाल अंसारी सपा
1999  मनोज सिन्हा  भाजपा
1998  ओम प्रकाश सिंह सपा
1996  मनोज सिन्हा भाजपा
1991 विश्वनाथ शास्त्री सीपीआई
1989 जगदीश कुशवाहा निर्दल
1998  जैनुल बशर कांग्रेस
1980 जैनुल बशर  कांग्रेस
1977 गौरीशंकर राय बीएलडी
1971 सरोज पांडेय सीपीआई
1967 सरोज पांडेय सीपीआई
1962 विश्वनाथ सिंह घमरी  कांग्रेस
1957 हर प्रसाद सिंह कांग्रेस
1952  हर प्रसाद सिंह कांग्रेस

गाजीपुर संसदीय सीट पर जातीय समीकरण
उत्तर प्रदेश की हॉट सीटों में शुमार गाजीपुर में अगर जातीय समीकरण की बात की जाए तो इस सीट पर  सबसे अधिक अनुसूचित जाति के वोटर हैं। ये 23 प्रतिशत के करीब हैं। 13 फीसदी मुस्लिम मतदाता और 14 फीसदी यादव है। राजपूत 6 फीसदी, ब्राह्मण 6 फीसदी, भूमिहार 10 फीसदी, केवट, बिन्द, निषाद, बिन्द वोटरों की संख्या 7 फीसदी की करीब है। राजभर नौ फीसद, कुशवाहा 10 फीसद है। वैश्य दो फीसदी है। इसके अतिरिक्त इस संसदीय सीट पर लोनिया, चौहान, साहू, कलवार, बढई, बारी, कूर्मि व अन्य पिछड़ी जाति के मतदाता भी हैं।

इस संसदीय सीट की विधानसभा
जखनियां, सैदपुर (सु), गाजीपुर, जंगीपुर, जमानियां विधानसभा को मिलाकर यह संसदीय सीट बनी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में चार सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती थीं। एक सीट सपा के साथ गठबंधन में चुनाव में चुनाव लड़े सुहेलदेव समाज पार्टी के हिस्से में गई थी। अभी जखनियां ( सु) से बेदीराम सुभासपा के विधायक हैं, जो लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के साथ हैं। इसके अतिरिक्त सैदपुर से सपा के अंकित भारती, गाजीपुर से जय किशन, जंगीपुर से सपा के वीरेन्द्र यादव और जमानिया से सपा के महासचिव ओम प्रकाश सिंह विधायक हैं। वह पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं।
 
वर्ष विजेता दल
2019 सुब्रत पाठक भाजपा
2014 डिंपल यादव  सपा
2012 (उप) डिंपल यादव सपा
2009 अखिलेश यादव सपा
2004 अखिलेश यादव सपा
2000 (उप) अखिलेश यादव सपा
1999 मुलायम सिंह यादव सपा
1998 प्रदीप कुमार यादव सपा
1996 चन्द्र भूषण सिंह भाजपा
1991 छोटे सिंह यादव जनता पार्टी
1989 छोटे सिंह यादव जनता दल
1984 शीला दीक्षित कांग्रेस
1980 छोटे सिंह यादव जेएनपी (एस)
1977 राम प्रकाश त्रिपाठी बीएलडी
1971 एसएन मिश्रा  कांग्रेस
1967 राम मनोहर लोहिया एसएसपी (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी )

कन्नौज संसदीय क्षेत्र में जातीय समीकरण
अनुसूचित जाति के सबसे अधिक मतदाता इस संसदीय क्षेत्र में रहते हैं। इनका कुल शेयर 23 फीसदी के करीब है। 16 फीसदी यादव मतदाता इस सीट पर है। 11 फीसदी मुसलमान और 11 फीसदी ही ब्राह्मण मतदाता इस संसदीय सीट का वोटर है। राजपूत मतदाताओं की तादाद 7 फीसदी और इतनी ही लोध समाज की आबादी है। कांछी 5 प्रतिशत, कूर्मि 4 फीसद, पाल 3 फीसद, कुशवाहा 2 फीसद के अतिरिक्त अति पिछड़ी जातियों में शुमार कहार, गडेरिया, पाल, ठठरिया, बाथम, माली, शाक्य और मौर्य जाति के मतदाता इस संसदीय सीट के परिणामों में उलटफेर करने की स्थिति में हैं।
 
कन्नौज संसदीय क्षेत्र में आने वाली विधानसभाओं में 2022 के परिणाम

छिबरामऊ,  तिर्वा,  बिधूना, कन्नौज (सु) और रसूलाबाद ( सु) विधानसभा को मिलाकर कन्नौज संसदीय सीट बनती है। 2022 के विधानसभा चुनाव में कन्नौज विधानसभा सीट आईपीएस छोड़कर भाजपा की राजनीति में आये असीम अरुण ने जीती थी, वह अभी राज्य सरकार में मंत्री हैं। छिबरामऊ सीट भाजपा की अर्चना पांडेय ने जीती थी। तिर्वा सीट भाजपा के कैलाश राजपूत ने जीती थी। रसूलाबाद (सु) भाजपा के हिस्से में गई थी, यहां भाजपा की पूनम संखवार जीती थी। इस संसदीय सीट के लिये समाजवादी पार्टी की रेखा वर्मा जीती थीं।

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