राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश 'चंद्रशेखर : दी लास्ट आयकन ऑफ आयडोलॉजिकल पॉलिटिक्स' के सह-लेखक हैं। उनका दावा है कि चंद्रशेखर अपने अल्पकालिक कार्यकाल में इस विवाद को बातचीत से हल करने के करीब पहुंच गए थे।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर बड़ा खुलासा : सरकार इसलिए गिरी ताकि अयोध्या विवाद हल करने का श्रेय न मिले
Jul 08, 2024 22:29
Jul 08, 2024 22:29
New delhi : चंद्रशेखर सरकार गिराए जाने का अयोध्या विवाद से बड़ा कनेक्शन सामने आया है। राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश ने सोमवार को बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि चंद्रशेखर सरकार इसलिए गिराई गई थी ताकि उन्हें अयोध्या विवाद समाधान का श्रेय न मिल सके। पेशे से पत्रकार रहे हरिवंश 'चंद्रशेखर : दी लास्ट आयकन ऑफ आयडोलॉजिकल पॉलिटिक्स' के सह-लेखक हैं।
क्या है किताब में
चंद्रशेखर ने 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक भारत के आठवें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। हरिवंश ने अंग्रेजी में यह पुस्तक रविदत्त बाजपेयी के साथ मिल कर लिखी है। चंद्रशेखर को एक विलक्षण, दृढ़-निश्चयी, साहसी और कर्तव्यनिष्ठ नेता के रूप में वर्णित किया गया है। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर अपने अल्पकालिक प्रधानमंत्री कार्यकाल में इस विवाद को बातचीत से हल करने के करीब पहुंच गए थे। बताया कि यह बात राजनेता शरद पवार ने भी अपनी पुस्तक में लिखी है। उन्होंने न केवल अयोध्या विवाद को सुलझाने का प्रयास किया, बल्कि देश को दिवालिया होने से भी बचाया। हरिवंश चंद्रशेखर के जीवन और कृतित्व पर हिंदी में पुस्तक पर भी काम कर रहे हैं।
किताब में यह भी दावा
चंद्रशेखर के राजनीतिक जीवन की एक विशेषता यह थी कि वे अपने सिद्धांतों पर दृढ़ रहे। उन्होंने कभी किसी दल को नहीं छोड़ा, बल्कि दलों ने उन्हें छोड़ा। उन्होंने अपने कार्यकाल में तमिलनाडु में आतंकवाद और पूर्वोत्तर की समस्याओं के समाधान के लिए भी प्रभावी कदम उठाए।
पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में चर्चा
चंद्रशेखर की 17वीं पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में, विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने उनके योगदान की सराहना की। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें उनकी सरलता, ईमानदारी, दृढ़ निश्चय और साहस के लिए याद किया। सांसद लवली आनंद ने उन्हें युवाओं का आदर्श बताया और कहा कि उनका राजनीतिक जीवन भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत है। बिहार के पूर्व मंत्री अख्लाक अहमद ने चंद्रशेखर को एक ऐसा राजनेता बताया जिनके समर्थक सभी राजनीतिक दलों में थे। कार्यक्रम में उनके विचारों को देश भर में फैलाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। कार्यक्रम में चर्चा करते हुए प्रसिद्ध पत्रकार राम बहादुर राय ने बताया कि चंद्रशेखर ने अयोध्या मसले के समाधान का प्रयास किया, लेकिन राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा।
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