घरेलू महिला से मंत्री पद तक का सफर आसान तो नहीं रहा। बेबी रानी मौर्य आज किसी का परिचय का मोहताज नहीं हैं। वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बाल विकास एवं पुष्टाहार हैं। जानते हैं बेबी रानी मौर्य के सफर के बारे में
महिला दिवस विशेष : आसान नहीं था गृहिणी से मंत्री बनना, जानें कैसा रहा बेबी रानी मौर्य का सफर
Mar 08, 2024 17:21
Mar 08, 2024 17:21
- बेबी रानी मौर्य ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 1990 में भारतीय जनता पार्टी से की थी
- वह किसी राजनेता के परिवार से नहीं थीं, यूपी में बीजेपी का बड़ा दलित चेहरा मानी जाती हैं
बड़े जनादेश के साथ जीता था चुनाव
1995 में, उन्हें आगरा के मेयर पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया, जिसे उन्होंने बड़े जनादेश के साथ जीता। वे 1995 से 2000 तक आगरा की पहली महिला मेयर रहीं। इसके बाद 2000 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रहीं। 2022 से उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। बीजेपी ने महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की जिम्मेदारी बेबी रानी मौर्य को दी। 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मौर्य को एत्मादपुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए नामित किया था। हालांकि इस चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें बहुजन समाज पार्टी के प्रतिद्वंद्वी नारायण सिंह सुमन ने हराया था। 2018 में उनको उत्तराखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
सम्मान
- बेबी रानी मौर्य को उनके कार्यों के लिए सम्मानित भी किया गया है। सामाजिक कार्यों के लिए 1996 में समाज रत्न, 1997 में उत्तर प्रदेश रत्न और
- 1998 नारी रत्न से सम्मानित किया गया।
बेबी रानी मौर्य का जन्म 15 अगस्त 1956 को यूपी के आगरा जिले में ही हुआ था। उन्होंने आगरा से ही एमए और बीएड किया है। बेबी रानी के पति प्रदीप कुमार हैं जो कि पीएनबी में निदेशक और वरिष्ठ प्रबंधक के पद रिटायर्ड हैं। उनके दो संतान हैं। बेटा अभिनव मौर्य इंजीनियर है और बेटी भी अमेरिका में रहती है।
राजनैतिक जीवन के खास अवसर
- बेबी रानी ने 1997 में उन्होंने वर्तमान राष्ट्रपति और तत्कालीन राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष राम नाथ कोविन्द के साथ कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
- 1995 से 2000 तक आगरा की मेयर रहीं। इसके बाद 2001 में राज्य समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य रहीं।
- 2002 में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रही हैं।
- वे नव चेतना जागृति संस्थान के माध्यम से 18 वर्षों से दलित एवं पिछड़ी महिलाओं की भलाई के लिए कार्य कर रही हैं।
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