जस्टिस संजीव खन्ना को भारत के अगले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) नियुक्त किया गया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार शाम इसका ऐलान किया।
देश के अगले CJI होंगे जस्टिस संजीव खन्ना : केंद्र सरकार ने किया ऐलान, चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की लेंगे जगह
Oct 25, 2024 01:50
Oct 25, 2024 01:50
- केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार शाम इसका ऐलान किया
- 11 नवंबर को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे
- 10 नवंबर को डीवाई चंद्रचूड़ होंगे सेवानिवृत्त
In exercise of the power conferred by the Constitution of India, Hon’ble President, after consultation with Hon’ble Chief Justice of India, is pleased to appoint Shri Justice Sanjiv Khanna, Judge of the Supreme Court of India as Chief Justice of India with effect from 11th…
— Arjun Ram Meghwal (@arjunrammeghwal) October 24, 2024
सीजेआई चंद्रचूड़ ने की थी जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश
12 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र भेजा था। इसमें उनसे अपने उत्तराधिकारी का नाम देने का अनुरोध किया गया था। डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला था। परंपरा के अनुसार, कानून मंत्रालय CJI के रिटायरमेंट से लगभग एक महीने पहले उन्हें पत्र लिखता है, जिसमें उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगा जाता है। इसके बाद वर्तमान CJI मंत्रालय को सिफारिश भेजते हुए अपना जवाब देते हैं। गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने CJI के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना के नाम पर मुहर लगाई
कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना
जस्टिस संजीव खन्ना का विशिष्ट कानूनी करियर रहा है, जो भारत के न्यायिक परिदृश्य में उनके अनुभव और महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाता है। जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया था। यहीं से उन्होंने कानूनी सफर की शुरुआत की थी। शुरुआत में दिल्ली हाईकोर्ट जाने से पहले जस्टिस खन्ना तीस हजारी स्थित जिला अदालतों में प्रैक्टिस करते थे। जस्टिस संजीव खन्ना ने संवैधानिक कानून, मध्यस्थता, कमर्शियल लॉ, कंपनी लॉ और आपराधिक कानून सहित अलग-अलग क्षेत्रों में प्रैक्टिस किया। उन्होंने आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के तौर पर काम किया। बाद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) के रूप में जिम्मेदारी को संभाला। उनकी विशेषज्ञता आपराधिक कानून में भी खास थी। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के तौर पर कई मामलों में बहस की। अक्सर महत्वपूर्ण मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट की सहायता के लिए एमिकस क्यूरी के रूप में कार्य किया।
14 साल तक दिल्ली हाईकोर्ट के रहे जज
जस्टिस खन्ना को 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में पदोन्नत किया गया था। 2006 में वह स्थायी न्यायाधीश बन गए। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने दिल्ली न्यायिक अकादमी, दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र और जिला न्यायालय मध्यस्थता केंद्रों में भी योगदान दिया। जस्टिस खन्ना का करियर तेजी से आगे बढ़ता रहा। उन्होंने जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले किसी भी हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के रूप में कार्य नहीं किया।
कई महत्वपूर्ण फैसलों में रहे शामिल
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस खन्ना ने ऐतिहासिक योगदान दिया है। विशेष रूप से उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी, जिससे उन्हें लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार करने की अनुमति मिली। इसमें उन्होंने लोकतांत्रिक भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया गया। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से जुड़े एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पीएमएलए मामलों में देरी होने पर ये जमानत का वैध आधार हो सकती है। जस्टिस खन्ना वर्तमान में विभिन्न पीएमएलए प्रावधानों की समीक्षा करने वाली एक पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं, जो महत्वपूर्ण सार्वजनिक हित के मामलों पर उनके चल रहे प्रभाव का संकेत है।
इस मामले में सुनाया अहम फैसला
जस्टिस संजीव खन्ना ने उस बेंच का भी नेतृत्व किया जिसने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों के सौ प्रतिशत वीवीपैट सत्यापन के अनुरोध को अस्वीकार किया था। अप्रैल 2024 के फैसले ने चुनावों की सटीकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग की ओर से उठाए गए उपायों को स्वीकार किया। जस्टिस खन्ना पांच जजों वाली उस पीठ में भी शामिल थे, जिसने इस साल की शुरुआत में चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
समलैंगिक विवाह वाले केस की सुनवाई से हट गए थे जस्टिस खन्ना
अगस्त 2024 में समलैंगिक विवाह पर 52 रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई होनी थी, लेकिन सुनवाई से ठीक पहले जस्टिस संजीव खन्ना ने खुद को केस से अलग कर लिया था।
13 मई 2025 को होंगे रिटायर
जस्टिस खन्ना पांच-न्यायाधीशों वाली उस पीठ में भी शामिल थे, जिसने आर्टिकल 370 को निरस्त करने का फैसला बरकरार रखा। यह निर्धारित करते हुए कि यह अनुच्छेद, हालांकि भारत की संघीय संरचना का एक अनूठा पहलू है। हालांकि, जम्मू और कश्मीर के लिए संप्रभुता का संकेत नहीं देता है। कानून के विभिन्न क्षेत्रों में एक समृद्ध पृष्ठभूमि और न्यायिक सेवा के प्रति समर्पण के साथ, जस्टिस खन्ना 13 मई, 2025 को रिटायर होंगे।
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