भारतीय और अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि देश के कुछ हिस्सों में बाजार में उपलब्ध हल्दी की गुणवत्ता मानकों से काफी नीचे है।
हल्दी में सीसा मिलावट का खुलासा : नई रिसर्च ने किया सच उजागर, यूपी समेत कई राज्यों के सैंपल्स की जांच में मिले चौंकाने वाले परिणाम
Nov 13, 2024 19:34
Nov 13, 2024 19:34
रिसर्च में शामिल शहर और सैंपल्स की स्थिति
इस अध्ययन के तहत शोधकर्ताओं ने देश के विभिन्न हिस्सों से हल्दी के नमूने एकत्र किए। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, चंडीगढ़, पंजाब के अमृतसर, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर, बिहार के पटना, गुजरात के हैदराबाद, मध्य प्रदेश के इंदौर, और राजस्थान के जयपुर जैसे शहरों से सैंपल्स लिए गए थे। शोध के दौरान, लखनऊ और इंदौर के सैंपल्स में सीसा की मात्रा नहीं पाई गई, जिससे यह संकेत मिलता है कि इन क्षेत्रों की हल्दी अपेक्षाकृत सुरक्षित हो सकती है। लखनऊ से लिए गए 11 सैंपल्स में कोई हानिकारक तत्व नहीं पाया गया, लेकिन अन्य जगहों से मिले सैंपल्स ने शोधकर्ताओं को चिंता में डाल दिया है। इस रिसर्च में बताया गया कि कुछ स्थानों पर हल्दी में सीसे की मात्रा 200 गुना तक अधिक पाई गई है, जो मानवीय स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हो सकती है।
बिहार में मिली उच्च मात्रा में सीसा
रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में हल्दी में सीसे की उच्च मात्रा पाई गई है। खासतौर पर पटना से लिए गए नमूने में 10 μg/g से अधिक सीसा की मात्रा दर्ज की गई है, जो FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है। FSSAI ने हल्दी में सीसे की अधिकतम सुरक्षित मात्रा 10 µg/g निर्धारित की है। इस अध्ययन में पाया गया कि तमिलनाडु और महाराष्ट्र भारत में हल्दी के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं, लेकिन 32% नमूनों का स्रोत स्पष्ट नहीं हो पाया।
दक्षिण एशिया में हल्दी में मिलावट का खुलासा
रिसर्च पेपर में बताया गया है कि दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में हल्दी में लेड क्रोमेट की मिलावट के संकेत मिले हैं। यह मिलावट अक्सर हल्दी के रंग को और गहरा पीला बनाने के लिए की जाती है, लेकिन इससे हल्दी की गुणवत्ता में गिरावट आती है और यह स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि इस प्रकार की मिलावट गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, विशेषकर अगर इसका सेवन लंबे समय तक किया जाए।
हल्दी की गुणवत्ता पर उठे सवाल
हल्दी को न केवल खाने में स्वाद और रंग बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है, बल्कि इसे एक प्राकृतिक औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में हल्दी का उपयोग चोट, सूजन और संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है। लेकिन इस रिसर्च ने हल्दी की गुणवत्ता और उसमें मिलावट के संभावित खतरों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस रिपोर्ट ने हल्दी के उत्पादन, परीक्षण, और बिक्री के मानकों की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपभोक्ताओं को सुरक्षित और शुद्ध उत्पाद मिले।
आगे की कार्रवाई और उपभोक्ताओं के लिए चेतावनी
शोधकर्ताओं का मानना है कि इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब उत्पादकों, उपभोक्ताओं, और सरकारी अधिकारियों के बीच एक समन्वित प्रयास हो। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि हल्दी की गुणवत्ता को बनाए रखा जाए और मिलावट को रोका जाए। उपभोक्ताओं को भी सलाह दी गई है कि वे केवल प्रमाणित और भरोसेमंद स्रोतों से ही हल्दी खरीदें ताकि स्वास्थ्य को किसी भी प्रकार का खतरा न हो। इस रिसर्च ने भारतीय उपभोक्ताओं के बीच हल्दी की गुणवत्ता को लेकर जागरूकता बढ़ाई है और सरकार को भी इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस अध्ययन के बाद हल्दी के उत्पादन और बिक्री में कितनी सुधार होती है और उपभोक्ताओं को सुरक्षित मसाले मिल पाते हैं या नहीं।
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