कांग्रेस के इस कदम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार सियासी हमला कर रहे हैं। पीएम मोदी ने महाराष्ट्र में ‘एक रहेंगे सेफ रहेंगे’ का नारा दिया, वहीं योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो नेक रहेंगे’...
CM योगी के नारे पर महायुति में बवाल : अजित पवार बोले-महाराष्ट्र में ये नहीं चलता, दूसरे राज्यों के सीएम तय करें...
Nov 08, 2024 18:52
Nov 08, 2024 18:52
पीएम मोदी और योगी का 'एक रहेंगे तो नेक रहेंगे' नारा
कांग्रेस के इस कदम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार सियासी हमला कर रहे हैं। पीएम मोदी ने महाराष्ट्र में ‘एक रहेंगे सेफ रहेंगे’ का नारा दिया, वहीं योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो नेक रहेंगे’ जैसे नारों के जरिए एकता और अखंडता का संदेश दिया। इन नारों के जरिए वह देश में जातिवाद और बिखराव की सियासत पर प्रहार कर रहे हैं।
एनडीए के सहयोगी अजित पवार ने किया योगी के नारे का विरोध
हालांकि, महाराष्ट्र में योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ वाले नारे पर एनडीए के ही एक प्रमुख सहयोगी ने सवाल उठाए हैं। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की धरती पर बाहरी लोग इस तरह के विचार व्यक्त नहीं कर सकते। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में शिवाजी, आंबेडकर और शाहू जी महाराज जैसे महापुरुषों की विचारधारा का पालन किया जाता है, और राज्य में बाहरी नेताओं को यह तय करना चाहिए कि उन्हें क्या बोलना चाहिए। अजित पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि वह महायुति में साथ काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टियों की विचारधाराएं अलग-अलग हैं।
शिवसेना (शिंदे गुट) और संजय राउत का बयान
वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय निरूपम ने योगी के नारे का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि 'बंटेंगे तो कटेंगे' वाली लाइन महाराष्ट्र में सफल होगी। वहीं, उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने इस नारे पर विरोध जताते हुए कहा कि महाराष्ट्र में ऐसा कुछ नहीं होगा। राउत ने कहा कि बीजेपी खुद बंटी हुई है और यही वजह है कि वह दिन-रात बंटने और कटने की बातें करती है।
कांग्रेस का जाति जनगणना और आरक्षण पर जोर
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस ने जाति जनगणना को लेकर नया वादा किया है। पार्टी ने घोषणा की है कि अगर सत्ता में आई, तो आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ऊपर ले जाने पर विचार किया जाएगा। कांग्रेस का यह कदम जाति आधारित वोट बैंक साधने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जो कि चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है।
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