बांग्लादेश में हिंसा पर मायावती ने किया पोस्ट : भाजपा का किया समर्थन, कहा- 'सभी दलों का सरकार के साथ रहना जरूरी'

भाजपा का किया समर्थन, कहा- 'सभी दलों का सरकार के साथ रहना जरूरी'
UPT | बांग्लादेश में हिंसा पर मायावती ने किया पोस्ट

Aug 06, 2024 14:42

बांग्लादेश के बिगड़े हालात को लेकर केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में विदेश मंत्री ने विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत की है। इसी बीच बसपा सुप्रीमो मायावती की प्रतिक्रिया सामने आई है...

Aug 06, 2024 14:42

New Delhi : बांग्लादेश में इस समय भड़की हिंसा के कारण हालात खराब हैं। इसी बाच सोमवार को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी बहन के साथ एक सैन्य हेलीकॉप्टर में सवार होकर भारत में शरण ली। शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना अभी भी भारत में हैं, जबकि उन्हें लाने वाला बांग्लादेशी सैन्य विमान मंगलवार सुबह 9 बजे वापस लौट गया। विमान में सात सैन्य कर्मी मौजूद थे। बांग्लादेश के बिगड़े हालात को लेकर केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में विदेश मंत्री ने विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत की है। इसी बीच बसपा सुप्रीमो मायावती की प्रतिक्रिया सामने आई है।

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'बसपा केंद्र सरकार के साथ'
मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर कहा कि 'पड़ोसी देश बांग्लादेश के तेज़ी से बदलते हुए राजनीतिक हालात के मद्देनज़र आज की सर्वदलीय बैठक अति महत्वपूर्ण, जिसमें सभी दलों द्वारा सरकार के फैसलों के साथ रहने का निर्णय उचित व ज़रूरी। बीएसपी भी इस मामले में केन्द्र सरकार के फैसलों के साथ।'
 
पहले भी भारत ने दी थी शरण
बांग्लादेश में हिंसा के कारण 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और देशभर में कर्फ्यू लगा दिया गया है। शेख हसीना ने गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर शरण ली है, जहां उनका विमान शाम करीब 5:36 बजे उतरा। उन्हें दिल्ली की ओर ले जाने की तैयारी की जा रही है, और संभवतः वे लंदन जाएंगी। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद, बांग्लादेश के आर्मी चीफ ने एक अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया है। इससे पहले भी बांग्लादेश में एक विद्रोह हुए हैं, जब भारत ने हसीना की सरकार को समर्थन देकर उनकी कुर्सी बचाई थी।

तख्तापलट में गई थी शेख मुजीब की जान
15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार की हत्या कर दी गई। इस समय शेख हसीना जर्मनी में थीं, जहां उनके पति परमाणु वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहे थे। हत्या के बाद शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना को दिल्ली की ओर जाने के लिए मजबूर किया गया। यह समय उनके जीवन का एक बेहद कठिन और डरावना दौर था।

जर्मनी ने कर दिए थे हाथ खड़े
15 अगस्त 1975 की सुबह, शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना ब्रसेल्स में बांग्लादेश के राजदूत सनाउल हक के घर ठहरे हुए थे। अचानक, राजदूत सनाउल हक के फोन की घंटी बजी, जिसमें बताया गया कि बांग्लादेश में सैनिक विद्रोह हो गया है। शेख हसीना को तुरंत जर्मनी लौटने के लिए कहा गया, लेकिन जैसे ही राजदूत को पता चला कि विद्रोह में शेख मुजीब की हत्या कर दी गई है, उन्होंने शेख हसीना और उनके परिवार को कोई भी मदद देने से इंकार कर दिया। यहां तक कि उन्हें जर्मनी छोड़ने के लिए भी मजबूर किया गया। इस स्थिति में शेख हसीना और उनकी बहन को जर्मनी में बांग्लादेश के राजदूत हुमायू रशीद चौधरी की मदद से वहां से निकाला गया। हालात को देखते हुए, यूगोस्लाविया के दौरे पर आए बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. कमाल हुसैन भी वहां पहुंचे, लेकिन शेख हसीना और उनकी बहन इतने सदमे में थीं कि उन्होंने मीडिया या अन्य लोगों से बात नहीं की।

 इंदिरा गांधी ने की थी शेख हसीना की मदद
भारत में शरण की तलाश में, हुमायू रशीद चौधरी ने इंदिरा गांधी के दफ्तर को फोन किया। हालांकि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कॉल सीधे इंदिरा गांधी तक पहुंचेगी, लेकिन यह चौंकाने वाला था जब इंदिरा गांधी ने खुद कॉल रिसीव की। उन्होंने शेख हसीना और उनकी बहन को राजनीतिक शरण देने का तत्काल आश्वासन दिया। 24 अगस्त 1975 को, एयर इंडिया के विमान से शेख हसीना और उनका परिवार दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर पहुंचे। वहां कैबिनेट के एक संयुक्त सचिव ने उन्हें रिसीव किया। 

भारत ने किया था सुरक्षित ठिकाना प्रदान
दिल्ली पहुंचने के बाद, शेख हसीना और उनका परिवार पहले रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के सेफ हाउस में भेजे गए, और फिर डिफेंस कॉलोनी के एक घर में सुरक्षित रूप से स्थानांतरित किए गए। इस कठिन दौर में, भारत ने न केवल शेख हसीना की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि उन्हें और उनके परिवार को एक नया सुरक्षित ठिकाना प्रदान किया।

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