पूर्वांचल के सबसे बड़े डॉन के रूप में जाना जाता था। एक समय ऐसा था कि उसके खौफ से लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकलते थे। मुख्तार पर हत्या, हत्या के प्रयास...
Mukhtar Ansari Death : सेना की LMG खरीदने के लिए मुख्तार ने की थी 1 करोड़ की डील, मुलायम सरकार ने दबाई बात
Mar 29, 2024 17:40
Mar 29, 2024 17:40
- गैंगस्टर एक्ट जैसे 61 से ज्यादा मामले दर्ज थे
- विधायक कृष्णानंद राय की बेरहमी सरेआम गोलियो से भुनवा दिया था
फोन पर लाइट मशीन गन खरीदने की हुई थी बात
ये बात 2004 की है। जब शैलेंद्र सिंह वाराणसी में एसटीएफ चीफ थे। उन्हें वहां कृष्णानंद राय और मुख्तार के बीच गैंगवार पर नजर रखने के लिए भेजा गया था। शैलेंद्र सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वे फोन टैपिंग कर रहे थे। एक दिन उन्होंने सुना कि मुख्तार किसी से फोन पर लाइट मशीन गन खरीदने की बात कह रहा है। वह कह रहा था कि उसे यह किसी भी कीमत में चाहिए। शैलेंद्र सिंह के मुताबिक, इस एलएमजी का इस्तेमाल वह कृष्णानंद राय की हत्या में करना चाहता था।
मुलायम सरकार ने करवाया था केस को रद्द
पुलिस ने आर्म्स एक्ट के साथ मुख्तार पर पोटा लगा दिया, लेकिन उस वक्त मुख्तार बाहुबली नेता था। उसने मायावती की पार्टी को तोड़कर सपा की सरकार बनवाई थी। ऐसे में मुलायम सिंह सरकार ने इस केस को रद्द करा दिया। शैलेंद्र सिंह के मुताबिक, इस केस के चलते तत्कालीन मुलायम सरकार ने आईजी बनारस, डीआईजी, एसपी समेत तमाम बडे़ अधिकारियों के तबादले कर दिया था। वाराणसी में मौजूद एसटीएफ यूनिट को भी लखनऊ बुला लिया गया था। शैलेंद्र सिंह ने बताया कि उनके ऊपर भी केस खत्म करने का दबाव बनाया जाने लगा। इसके बाद उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा। शैलेंद्र सिंह के मुताबिक, मुलायम सिंह उनसे काफी नाराज थे। आखिर में सिस्टम से परेशान होकर शैलेंद्र सिंह ने इस्तीफा दे दिया।
मुख्तार पांच बार बना था विधायक
प्रदेश में सूचीबद्ध माफिया पर जब अभियान के तहत पैरवी शुरू हुई तब जाकर वह कमजोर पड़ा और चालीस वर्षों के बाद उसे पहली बार 21 सितंबर 2022 को सजा सुनाई गई थी। इसके बाद डेढ़ वर्ष में एक के बाद एक आठ मुकदमों में उसे सजा सुनाई गई। बांदा में उसकी मौत के बाद कई राज दफन हो गए। मुख्तार ने अपने व कुनबे के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए हर दांव चला। बसपा का दामन थामकर 1996 में पहली बार विधानसभा पहुंचा तो बाद में सपा का भी इस्तेमाल अपने ढ़ंग से किया। मुख्तार पांच बार विधायक बना और बसपा के टिकट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट से भी किस्मत आजमाई। हालांकि वह हार गया था।
मुख्तार के विरुद्ध हत्या का पहला मुकदमा
मुख्तार के विरुद्ध हत्या का पहला मुकदमा 1986 में दर्ज हुआ था, तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। मुख्तार पर तत्कालीन कांग्रेस नेताओं का भी हाथ रहा। प्रदेश में सरकारें तो बदलती रहीं, पर किसी ने बाहुबली मुख्तार के विरुद्ध कार्रवाई की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। कानूनी विशेषज्ञ कहते हैं कि मुख्तार उसके विरुद्ध दर्ज मुकदमों में कानूनी दांवपेंच के सहारे कोर्ट में आरोप तय कराने की प्रक्रिया को लटकवाने में माहिर रहा।
अब्बास अंसारी के विरुद्ध आठ मुकदमे दर्ज
मुख्तार के विधायक पुत्र अब्बास अंसारी के विरुद्ध आठ मुकदमे दर्ज हैं। अब्बास की पत्नी निखत को बीते दिनों चित्रकूट पुलिस ने पकड़ा था। चित्रकूट जेल में वह अब्बास से गैरकानूनी ढ़ंग से मिलने जाती थी। अफजाल अंसारी के विरुद्ध सात मुकदमे दर्ज हैं। मुख्तार के बड़े भाई पूर्व विधायक सिबगतुल्ला अंसारी के विरुद्ध तीन मुकदमे दर्ज हैं। वर्तमान सरकार ने वर्ष 2017 में विशेषकर बड़े अपराधियों के विरुद्ध कोर्ट में प्रभावी पैरवी का निर्देश दिया था। इसके बाद ही अभियोजन विभाग ने मुख्तार के विरुद्ध दर्ज मुकदमों में भी पैरवी तेज की थी।
मुख्तार के साथ इन माफिया पर भी कसा शिकंजा
माफिया के विरुद्ध अभियान के तहत हुई कार्रवाई में मुख्तार अंसारी के अलावा विजय मिश्रा, अतीक अहमद (मृत), योगेश भदौड़ा, मुनीर, सलीम, रुस्तम, सोहराब, अजीत सिंह उर्फ हप्पू, आकाश जाट, सिंहराज भाटी, सुंदर भाटी, मुलायम यादव, ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू सिंह, अमित कसाना, एजाज, अनिल दुजाना, याकूब कुरैशी, बच्चू यादव, रणदीप भाटी, संजय सिंह सिंघला, अनुपम दुबे, ऊधम सिंह व अन्य को कोर्ट से सजा सुनिश्चित कराई गई।
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