चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब आधिकारिक रूप से राजनीतिकार बन गए हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी लॉन्च कर दी है। प्रशांत किशोर ने इसका नाम जन सुराज पार्टी रखा है।
प्रशांत किशोर ने लॉन्च की अपनी पार्टी : झंडे में गांधी और अंबेडकर, टिकट देने के लिए जनता को बनाया सुप्रीमो
Oct 02, 2024 18:17
Oct 02, 2024 18:17
- प्रशांत किशोर ने लॉन्च की अपनी पार्टी
- मनोज भारती बने पहले अध्यक्ष
- मंच पर बैठे थे 5000 लोग
मनोज भारती बने पहले अध्यक्ष
मधुबनी जिले के रहने वाले मनोज भारती को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है। मनोज ने जमुई के सरकारी स्कूल से पढ़ाई की थी। इसके बाद उन्होंने आईआईटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर यूपीएससी की परीक्षा पास की। वह आईएफएस के लिए चुने गए और 4 देशों के राजदूत बने। मनोज भारती की तारीफ करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मनोज मुझसे भी ज्यादा काबिल हैं।
पार्टी के संविधान में कई बातें
जन सुराज पार्टी के संविधान में कई अहम बिंदु हैं, जिनकी चर्चा हो रही है। पार्टी के अध्यक्ष का कार्यकाल 1 साल का होगा। मनोज भारती को भी फिलहाल कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है। मार्च 2025 में इस पद के लिए दोबारा चुनाव कराया जाएगा। वहीं लीडरशिप काउंसिल का कार्यकाल दो साल का होगा। पार्टी में प्रत्याशियों का चयन जनता करेगी। ये लगभग अमेरिका मॉडल की तरह ही होगा। चुनाव में जीते प्रत्याशियों का काम अगर जनता का पसंद न आए, तो उन्हें राइट टू रिकॉल के तहत हटाया जा सकेगा।
मंच पर बैठे थे 5000 लोग
वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें राज्यभर से लोग जुटे थे। सभास्थल पर विशाल मंच बनाया गया था, जिस पर 5000 लोग बैठे थे। मंच पर जैमर भी लगा था, जिससे मोबाइल फोन काम न करे। प्रशांत किशोर ने कहा कि पार्टी के सरकार बनाते ही शराबबंदी को खत्म करेंगे और उससे आने वाले टैक्स के पैसे को शिक्षा पर खर्च करेंगे। उन्होंने महिलाओं को सस्ता लोन, भूमि सुधार कानून, किसानों की आय बढ़ाने संबंधी कई घोषणाएं कीं।
यह भी पढ़ें- अतुल की प्रतिभा ने 'सिस्टम' को झकझोरा : पढ़ाई का खर्च उठाएगी योगी सरकार, मंत्री ने की फोन पर बात, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऐसा टैलेंट छोड़ नहीं सकते
यह भी पढ़ें- मुजफ्फरनगर पहुंचे पुष्कर धामी : उत्तराखंड आंदोलनकारियों को दी श्रद्धांजलि, जानें हर 2 अक्तूबर को क्यों आते हैं सीएम
Also Read
23 Nov 2024 02:00 AM
कम वोटिंग प्रतिशत ने हालांकि सभी दलों की चिंता बढ़ा दी है लेकिन भाजपा की जीती तीनों सीटों पर सबसे कम वोटिंग के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। गाजियाबाद सदर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में मात्र 33.30 मतदान होने के कारण प्रत्याशी और उनके समर्थकों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। और पढ़ें