राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदल दिया गया है। अब से दरबार हॉल को गणतंत्र मंडप और अशोक हॉल को अशोक मंडप के नाम से जाना जाएगा।
राष्ट्रपति भवन से आया बड़ा अपडेट : दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदला, जानिए इसकी नई पहचान
Jul 25, 2024 15:02
Jul 25, 2024 15:02
- दरबार हॉल का बदल गया नाम
- अशोक हॉल का भी नाम बदला
- राष्ट्रपति ने जाहिर की खुशी
इसलिए बदला गया नाम
राष्ट्रपति भवन ने 24 जुलाई को प्रेस रिलीज जारी कर इस बारे में जानकारी दी है। 'दरबार हॉल', राष्ट्रीय पुरस्कारों के वितरण जैसे महत्वपूर्ण समारोहों का गवाह रहा है। यह बदलाव इस तथ्य को रेखांकित करता है कि 'दरबार' शब्द, जो भारतीय शासकों और अंग्रेजों की अदालतों से जुड़ा था, अब भारतीय गणतंत्र के संदर्भ में अप्रासंगिक हो गया है। राष्ट्रपति भवन का मानना है कि 'गणतंत्र मंडप' नाम भारतीय समाज में गहराई से निहित गणतांत्रिक मूल्यों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करता है। यह कदम हाल के समय में कई प्रमुख इमारतों और सड़कों के नाम बदलने की श्रृंखला में एक और अहम कड़ी है।
अशोक हॉल की ये है खासियत
अशोक हॉल, जिसे अब अशोक मंडप नाम दिया गया है, विशाल और कलात्मक स्थान अब महत्वपूर्ण समारोहों और विदेशी राजनयिकों के परिचय-पत्र प्रस्तुतीकरण के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी विशेषताओं में स्प्रिंग-युक्त लकड़ी का फर्श और तैल पेंटिंग से सजी छत शामिल है। छत के मध्य में एक विशाल चमड़े की पेंटिंग है, जो फारस के शासक फतह अली शाह को दर्शाती है। हॉल की दीवारें शाही जुलूसों के चित्रों से सजी हैं, और बेल्जियम के कांच के झूमर इसकी शोभा बढ़ाते हैं। एक विशेष मंच राष्ट्रगान बजाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। तीन गलियारे हवादार वातावरण प्रदान करते हैं, जबकि फ्रेंच विंडो से मुगल गार्डन का मनोरम दृश्य दिखता है। पीले-ग्रे संगमरमर की दीवारें और स्तंभ, कलात्मक फर्श और छत के साथ सुंदर विरोधाभास पैदा करते हैं। अशोक मंडप में पारसी कवि निजामी और एक फारसी महिला की पेंटिंग्स भी प्रदर्शित हैं, जो इस ऐतिहासिक स्थल की समृद्ध विरासत को दर्शाती हैं।
दरबाल हॉल की भी खासियत जानिए
राष्ट्रपति भवन का सबसे भव्य कक्ष दरबार हॉल ही है। यह ऐतिहासिक स्थल है जहां 1947 में स्वतंत्र भारत की पहली सरकार ने शपथ ली थी। इसकी 42 फुट ऊंची सफेद संगमरमर की दीवारें, 22 मीटर परिधि और 25 मीटर ऊंचा गुंबद इसकी भव्यता को दर्शाते हैं। डबल डोम की विशिष्ट आकृति में केंद्रीय छिद्र से प्रवेश करती सूर्य की रोशनी इसकी कलात्मकता को उजागर करती है। 33 मीटर ऊंचा बेल्जियम के कांच का झूमर इसकी शोभा बढ़ाता है। चार अर्द्धगोलाकार झरोखे, आलंकारिक मेहराब और चापालंकरण इसकी वास्तुकला को और भी आकर्षक बनाते हैं। पीले जैसलमेर संगमरमर के स्तंभों से घिरा यह हॉल न केवल शपथ ग्रहण समारोहों का गवाह रहा है, बल्कि 1977 में राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद को श्रद्धांजलि देने के लिए भी इसका उपयोग किया गया था। इस प्रकार, गणतंत्र मंडप भारत के इतिहास और लोकतांत्रिक परंपराओं का एक जीवंत प्रतीक है।
राष्ट्रपति भवन में घूमने के लिए क्या खास?
राष्ट्रपति भवन, भारत के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास, अब आम जनता के लिए तीन अलग-अलग सर्किट में खोल दिया गया है। पहला सर्किट मुख्य इमारत का है, जिसमें प्रसिद्ध बैंक्वेट हॉल, अशोक हॉल (अब अशोक मंडप), दरबार हॉल (अब गणतंत्र मंडप), लाइब्रेरी और ड्रॉइंग रूम शामिल हैं। दूसरा सर्किट संग्रहालय परिसर है, जिसमें ऐतिहासिक क्लॉक टॉवर, स्टेबल और गैरेज की इमारतें हैं। यह सर्किट इतिहास, संस्कृति और कला के शौकीनों के लिए विशेष आकर्षण रखता है। तीसरा सर्किट भवन के विख्यात उद्यानों का है, जिसमें अमृत गार्डन, हर्बल गार्डन, संगीत गार्डन और आध्यात्मिक उद्यान शामिल हैं।
जानें के लिए बुकिंग कराना जरूरी
राष्ट्रपति भवन का भ्रमण करने के लिए, आगंतुकों को आधिकारिक वेबसाइट http://rashtrapatisachivalaya.gov.in/rbtour/ पर ऑनलाइन बुकिंग करनी होती है। प्रक्रिया में पंजीकरण, शुल्क भुगतान और वांछित तारीख का चयन शामिल है। यह व्यवस्था न केवल भवन की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि आगंतुकों को एक संरचित और सूचनात्मक अनुभव भी प्रदान करती है। सर्किट 1 गुरुवार से रविवार तक, सर्किट 2 केवल सोमवार को छोड़कर सप्ताह के बाकि सभी दिन, सर्किट 3 गुरुवार से रविवार तक खुला रहता है।
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