राहुल को भाषण के दौरान कई बार एनडीए के सांसदों ने नियमों के उल्लंघन का दावा भी किया। सत्ता पक्ष के नेता से लेकर विपक्ष के नेता और स्पीकर ओम बिरला तक ने बार -बार लोकसभा की रूर का हवाला दिया और संसद में बोलने के नियम बताए...
Parliament Session 2024 : संसद में भाषण देते वक्त बार-बार रूल बुक का क्यों दिया जाता हवाला, जानें क्या है नियम
Jul 02, 2024 16:24
Jul 02, 2024 16:24
लेकिन संसद सत्र के छठे दिन यानी 1 जुलाई को कुछ ऐसा हुआ जिसे शायद ही कोई भूल पाए! जी हां संसद सत्र के छठे दिन लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भाषण दिया। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर यह उनका पहला भाषण था। राहुल गांधी ने लगभग पौने दो घंटे भाषण दिया। इस भाषण के दौरान कई बार हंगामा हुआ, सत्ता पक्ष के कई दिग्गज नेता गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान, किरेन रिजिजू और केंद्रीय मंत्री ने खुद नेता प्रतिपक्ष को टोका। इतना ही नहीं खुद प्रधानमंत्री मोदी उठ खड़े हुए राहुल को जवाब देने।
नरेंद्र मोदी पूरा हिंदू समाज नहीं है।
— Congress (@INCIndia) July 1, 2024
BJP पूरा हिंदू समाज नहीं है।
RSS पूरा हिंदू समाज नहीं है।
BJP के पास हिंदू समाज का ठेका नहीं है। pic.twitter.com/ZVkaGnPUe4
राहुल को भाषण के दौरान कई बार एनडीए के सांसदों ने नियमों के उल्लंघन का दावा भी किया। सत्ता पक्ष के नेता से लेकर विपक्ष के नेता और स्पीकर ओम बिरला तक ने बार -बार लोकसभा के रूल का हवाला दिया और संसद में बोलने के नियम बताए। तो आइए विस्तार से जानते है कि संसद में भाषण देने के क्या हैं नियम- कायदे...
नियम 349#WATCH लोकसभा में विपक्ष के विरोध के बीच स्पीकर ओम बिरला ने कहा, "सदन के बाहर कुछ सांसद आरोप लगाते हैं कि स्पीकर माइक बंद कर देते हैं। माइक का नियंत्रण कुर्सी पर बैठने वाले के हाथ में नहीं है।'' pic.twitter.com/1lSVZlgh3o
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 1, 2024
राहुल गांधी ने भाषण के दौरान जब सत्ता पक्ष ने हंगामा किया तो कांग्रेस सांसदों ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि किसी सदस्य के भाषण देते वक्त बाधा नहीं डाली जा सकती। वहीं इसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने भी नियम 349 का जिक्र किया।
लोकसभा की रूल बुक में नियम 349 से लेकर 356 तक संसद में भाषण देते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में बताया गया है। नियम 349 (1) कहता है कि भाषण के दौरान ऐसी किसी किताब, अखबार या पत्र नहीं पढ़ा जा सकता, जिसका सदन की कार्यवाही से कोई संबंध न हो। नियम 349 (2) कहता है कि किसी सदस्य के भाषण देते वक्त शोर शराबा या किसी भी तरीके से बाधा नहीं डाली जा सकती। नियम 349 (12) में लिखा है कि कोई भी सदस्य स्पीकर की कुर्सी की ओर पीठ करके न तो बैठेगा और न ही खड़ा होगा। इसी रूल बुक का नियम 349 (16) कहता है कि सदन में कोई भी सदस्य झंडा, प्रतीक या कोई भी चीज प्रदर्शित नहीं करेगा। बता दें कि राहुल गांधी की ओर से भगवान शिव की तस्वीर दिखाने पर स्पीकर ओम बिरला ने इसी नियम का हवाला दिया था।
नियम 352
नियम 352 (1) कहता है कि कोई भी सदस्य भाषण देते वक्त ऐसे तथ्य या निर्देश का जिक्र नहीं करेगा, जो किसी अदालत के सामने लंबित हो। 352 (2) के तहत, किसी सदस्य पर पर्सनल अटैक नहीं किया जा सकता। नियम 352 (3) के मुताबिक, कोई भी सदस्य सदन या किसी राज्य की विधानसभा की कार्यवाही को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं करेगा। नियम 352(5) के तहत, ऊंचे पद पर बैठे किसी व्यक्ति के खिलाफ आपत्तिजनक या अपमानजनक टिप्पणी नहीं की जा सकती। रूल बुल का नियम 352(6) कहता है कि कोई भी सदस्य बहस या चर्चा के दौरान राष्ट्रपति के नाम का भी इस्तेमाल नहीं कर सकता। इतना ही नहीं, किसी सरकारी अधिकारी के नाम का भी जिक्र नहीं कर सकते। नियम 352 (11) के मुताबिक, कोई भी सदस्य स्पीकर की अनुमति के बगैर कोई भी लिखित भाषण नहीं पढ़ सकता।
नियम 353
रूल बुल का नियम 353 के मुताबिक कोई भी सदस्य किसी व्यक्ति के खिलाफ तब तक कोई अपमानजनक टिप्पणी या आरोप नहीं लगाएगा, जब तक स्पीकर की मंजूरी न हो।
नियम 354
नियम 354 के मुताबिक, कोई भी सदस्य राज्यसभा में दिए भाषण का जिक्र लोकसभा में तब तक नहीं करेगा, जब तक वो किसी मंत्री की ओर से न दिया गया हो या फिर किसी नीति से जुड़ा न हो।
नियम 355
नियम 355 कहता है कि अगर चर्चा के दौरान कोई सदस्य किसी सदस्य से कोई सवाल पूछना चाहता है तो वो स्पीकर के माध्यम से ही सवाल कर सकता है।
नियम 356
नियम 356 कहता है कि अगर कोई सदस्य भाषण के दौरान बार-बार असंगत बात कर रहा हो तो स्पीकर उसे अपना भाषण बंद करने का निर्देश दे सकते हैं। राहुल गांधी के भाषण के दौरान नियम 356 का भी जिक्र हुआ। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के सामने नियम 356 का हवाला दिया।
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