बांग्लादेश में बिगड़े हालात : शेख हसीना देश छोड़कर यूपी पहुंचीं, अब यहां जाएंगी...

शेख हसीना देश छोड़कर यूपी पहुंचीं, अब यहां जाएंगी...
UPT | शेख हसीना

Aug 05, 2024 18:34

बांग्लादेश में हालात बिगड़ने और हिंसा भड़कने के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। हिंसा के बीच बांग्लादेश में 100 लोगों की मौत हो चुकी है...

Aug 05, 2024 18:34

New Delhi : बांग्लादेश में हालात बिगड़ने और हिंसा भड़कने के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। हिंसा के बीच बांग्लादेश में 100 लोगों की मौत हो चुकी है और देशभर में कर्फ्यू लगा दिया गया है। शेख हसीना देश छोड़ विमान में उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस पहुंची। यहां शाम करीब 5:36 बजे उनके विमान ने लैंडिग की, यहां से वो लंदन जा सकती हैं।

शेख हसीना को गेस्ट हाउस में रखा गया
बांग्लादेश में हिंसा और अराजकता के चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर शरण ली है। वायुसेना के अधिकारियों द्वारा रिसीव की गई शेख हसीना को कड़ी सुरक्षा के बीच गाजियाबाद के एक गेस्ट हाउस में रखा गया है। उनके गंतव्य के रूप में दिल्ली की ओर सड़क मार्ग से ले जाने की तैयारी की जा रही है।



कौन हैं शेख हसीना?
शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को ढाका, बांग्लादेश में हुआ था। वह बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की सबसे बड़ी बेटी हैं। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने पूर्वी बंगाल के तुंगीपारा में प्राप्त की, और बाद में पूरा परिवार ढाका में शिफ्ट हो गया। शुरुआती दिनों में शेख हसीना को राजनीति में कोई खास रुचि नहीं थी। 1966 में, जब वह ईडन महिला कॉलेज में पढ़ाई कर रही थीं, तो उनकी राजनीति में रुचि जागी। यहीं पर उन्होंने स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़ा और वाइस प्रेसिडेंट बनीं। इसके बाद, उन्होंने अपने पिता की पार्टी, अवामी लीग के स्टूडेंट विंग की जिम्मेदारी संभाली, जिससे उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई।

1975 में शेख हसीना के परिवार की कठिनाइयां
1975 में, शेख हसीना और उनके परिवार के लिए गंभीर संकट आया जब सेना ने विद्रोह कर दिया और अवामी लीग के खिलाफ बगावत शुरू की। इस हिंसक संघर्ष में शेख हसीना के पिता, शेख मुजीबुर रहमान, उनकी मां और तीन भाइयों की हत्या कर दी गई। शेख हसीना, उनके पति वाजिद मियां और छोटी बहन उस समय यूरोप में थे, इसलिए वे बच गए। बाद में, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें भारत में शरण दी, और वे अपनी बहन के साथ दिल्ली आ गईं, जहां उन्होंने लगभग छह साल बिताए।

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