वक्फ बिल 2024 को लोकसभा में पेश किए जाने के बाद विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई थी। जिसके बाद संसदीय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे संयुक्त संसदीय कमेटी यानी जेपीसी को भेजने की मांग कर दी थी। वक्फ बिल 2024 को लोकसभा में पेश किए जाने के बाद विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई थी। जिसके बाद संसदीय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे संयुक्त संसदीय कमेटी यानी जेपीसी को भेजने की मांग कर दी थी।
वक्फ बिल के लिए बनी जेपीसी : कमेटी में यूपी के इन सांसदों का नाम, लोकसभा से 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल
Aug 09, 2024 17:21
Aug 09, 2024 17:21
- वक्फ बिल के लिए बनी जेपीसी
- लोकसभा से 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य
- उत्तर प्रदेश के भी 5 सांसद शामिल
यूपी के इन सांसदों का नाम
वक्फ बिल के लिए बनी जेपीसी में उत्तर प्रदेश के भी 5 सांसद शामिल हैं। लोकसभा से इसमें डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल, सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद, रामपुर से सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी शामिल हैं। वहीं राज्यसभा से चुने गए बृजलाल, राधा मोहन दास अग्रवाल भी उत्तर प्रदेश के सांसद हैं। आपको बता दें कि संसद में वक्फ बिल पर हुए भयंकर गतिरोध के बाद स्पीकर ओम बिरला ने कहा था कि वह जल्द ही इसके लिए जेपीसी बनाएंगे।
क्या होती है जेपीसी?
संसद को ऐसे एजेंसी की जरूरत होती है जिसपर पूरे सदन को भरोसा हो, और इसके लिए संसदीय समितियां बनाई जाती हैं। इन समितियों में संसद के सदस्य होते हैं, और ये समितियां विभिन्न मामलों की जांच करती हैं। विशेष रूप से, ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) का गठन वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए किया जाता है। चूंकि संसद के पास बहुत सारा काम होता है और समय सीमित होता है, इसलिए कई मामलों को गहराई से देखने के लिए समितियां बनाई जाती हैं। ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य होते हैं। संसदीय समितियों का गठन संसद के अध्यक्ष के निर्देश पर होता है, और ये समितियां अपनी रिपोर्ट संसद या अध्यक्ष को सौंपती हैं।
कैसे काम करती है जेपीसी?
जेपीसी (ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं। समिति की संख्या निर्धारित नहीं होती, लेकिन इसका गठन इस तरह से किया जाता है कि सभी राजनीतिक पार्टियों को प्रतिनिधित्व मिल सके। सामान्यतः, राज्यसभा की तुलना में लोकसभा के सदस्य दोगुने होते हैं। जेपीसी के पास सबूत जुटाने, दस्तावेज मांगने, और किसी भी व्यक्ति या संस्था को बुलाकर पूछताछ करने का अधिकार होता है। यदि कोई व्यक्ति या संस्था जेपीसी के सामने पेश नहीं होता, तो इसे संसद की अवमानना माना जाता है और जेपीसी उस व्यक्ति या संस्था से जवाब मांग सकती है। संसद जेपीसी का गठन करती है और विशिष्ट बिंदुओं की जांच के लिए दिशा-निर्देश देती है। जेपीसी की जांच और चर्चा में विभिन्न विशेषज्ञों, सहयोगियों, और आम जनता से भी सलाह ली जाती है, विशेषकर तकनीकी मुद्दों पर।
कमेटी में इन सदस्यों के नाम
स्पीकर ओम बिरला की तरफ से जो जेपीसी बनाई गई हैं, उसमें लोकसभा के 21 सांसद शामिल हैं। इनमें जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय, श्रीमती डीके अरोड़ा, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, मौलाना मोहिबुल्ला, कल्याण बनर्जी, ए राजा, एलएस देवरायुलु, दिनेश्वर कामायत, अरविंद सावंत, सुरेश गोपीनाथ, नरेश गणपत मास्के, अरुण भारती, असदुद्दीन ओवैसी के नाम हैं। इसके अलावा से राज्यसभा से बृजलाल, मेधा कुलकर्णी, गुलाम अली, राधामोहनदास अग्रवाल, सैय्यद नासिर हुसैन, मुहम्मद नदीमुल हक़, विजय साईं रेड्डी, मोहम्मद अब्दुल्ला, संजय सिंह, डॉ. धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े कमेटी के सदस्य हैं।
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