एसबीआई ने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिले चंदे की जानकारी उपलब्ध करवा दी है। इस संबंध में बैंक की तरफ से सर्वोच्च अदालत में हलफनामा भी दाखिल कर दिया गया है।
इलेक्टोरल बॉन्ड पर बड़ा खुलासा : स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में बताए पार्टियों के नाम, किसको कितना चंदा मिला...
Mar 13, 2024 13:25
Mar 13, 2024 13:25
- सु्प्रीम कोर्ट में एसबीआई ने दिया हलफनामा
- इलेक्टोरल बॉन्ड पर स्पष्ट किया अपना रुख
- चुनाव आयोग ने बैंक ने भेजा पूरा ब्योरा
चुनाव आयोग द्वारा इस जानकारी को 15 मार्च की शाम 5 बजे तक वेबसाइट पर अपलोड किया जाना है। उधर एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर इस बात की जानकारी दी है कि अब तक उसकी शाखाओं से कितने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए हैं।
अब तक कितने बॉन्ड खरीदे गए?
एसबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के मुताबिक 1 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक कुल 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए। इसमें से कुल 22,030 बॉन्ड को रिडीम भी कर लिया गया है। इसमें से जिन बॉन्ड्स को राजनीतिक पार्टियों द्वारा भुनाया नहीं जा सका, उन्हें प्रधानमंत्री राहत कोष में ट्रांसफर कर दिया गया है। आंकड़ों के मुताबिक केवल 1 अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 के बीच ही कुल 3346 बॉन्ड खरीदे गए थे, जिनमें से 1609 बॉन्ड कैश करवा लिए गए थे।
सीलबंद लिफाफे में क्या-क्या?
एसबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी गई है कि उसके द्वारा सीलबंद लिफाफे में एक पेनड्राइव और दो पीडीएफ फाइल के रूप में चुनाव आयोग को जानकारी सौंपी गई है। ये सारी जानकारी पासवर्ड से संरक्षित है। एसबीआई ने कहा कि उसने कोर्ट के आदेश का पालन किया है और इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद और बिक्री, इसके खरीदार के नाम समेत सभी संबंधित जानकारी को लेकर रिपोर्ट तैयार की है और इसे समय रहते आयोग को मुहैया करा दिया है।
पहले बैंक ने मांगा था जून तक का समय
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को दिए अपने फैसले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को 6 मार्च तक उपलब्ध कराए। लेकिन इसके बाद एसबीआई की तरफ से याचिका डालकर 30 जून तक का समय मांगा था। कोर्ट ने एसबीआई की इस याचिका को सोमवार को खारिज करते हुए उसे 12 मार्च तक सारी जानकारी चुनाव आयोग को भेजने के लिए कहा था।
एसबीआई ने अपने पक्ष में क्या कहा था?
एसबीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाने और उसे भुनाए जाने से जुड़े डेटा दो अलग-अलग जगहों पर रखे गए हैं। ये जानकारी उसे सेंट्रल डेटाबेस में नहीं है। ऐसे में इसका मिलान करने के लिए अधिक काम करने की ज़रूरत पड़ेगी। एसबीआई का कहना था कि बॉन्ड की संख्या की जानकारी को डिज़िटल तरीक़े से रखा गया है, वहीं उसे ख़रीदने वालों की जानकारी भौतिक रूप में रखी गई है। ऐसे में दोनों को मिलाने में अधिक समय लगेगा।
15 मार्च को सार्वजनिक होगी जानकारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, एसबीआई द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए जाने के बाद चुनाव आयोग को इसे 15 मार्च की शाम 5 बजे तक अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करना होगा। कोर्ट की तरफ से सोमवार को हुई सुनवाई में कहा गया था कि अगर एसबीआई आदेश का पालन करने में विफल रहता है तो अदालत अपने 15 फरवरी के आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने के लिए अवमानना की कार्रवाई करेगी।
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