मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर स्पेशल कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग का केस पहुंच गया है, तो प्रवर्तन निदेशालय (ED) आरोपी को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तार नहीं कर सकता।
मनी लॉन्ड्रिंग पर SC का बड़ा फैसला : कोर्ट में है मामला और आरोपी समन पर पेश हुआ, तो ED नहीं कर सकती अरेस्ट
May 16, 2024 17:48
May 16, 2024 17:48
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट ने कहा था
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों को अंतरिम जमानत दी थी। बताया गया कि यह केस जमीन घोटाले से जुड़ा हुआ है, जिसमें कुछ रेवेन्यू अफसरों को मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आरोपी बनाया गया था। बेंच ने कहा कि अदालत के समन के बाद अगर आरोपी पेश हुआ है, तो यह नहीं माना जा सकता कि वो गिरफ्तार है। एजेंसी को संबंधित अदालत में कस्टडी के लिए अप्लाई करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणियां भी की थीं। जिसमें कहा गया था कि मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी अगर कोर्ट के समन के बाद पेश होता है तो उसे जमानत की अर्जी देने की जरूरत नहीं है। ऐसे में PMLA के सेक्शन 45 के तहत जमानत की शर्तें भी लागू नहीं हैं। कहा था कि कोर्ट समन के बाद अगर आरोपी पेश होता है तो उसकी रिमांड के लिए ED को स्पेशल कोर्ट में अर्जी देनी होगी। इसके बाद कोर्ट तभी एजेंसी को कस्टडी देगी, जब वह संतुष्ट हो जाएगी कि कस्टडी में पूछताछ जरूरी है।
PMLA का सेक्शन 19
अदालत के फैसले का मतलब है कि जब ED ने उस आरोपी के खिलाफ कम्प्लेंट भेज दी है, जो जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया था। तब अफसर PMLA एक्ट के सेक्शन 19 के तहत मिली स्पेशल पावर्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। सेक्शन 19 कहता है कि अगर ED को किसी आरोपी के अपराध में शामिल होने का शक है तो वह उसे गिरफ्तार कर सकती है। मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आरोपी अगर जमानत के लिए अपील करता है तो उसके लिए शर्त है। कोर्ट सरकारी वकील की दलीलें सुनेगी और जब वह संतुष्ट हो जाएगी कि व्यक्ति गुनहगार नहीं है और वह बाहर जाकर इसी तरह का कोई जुर्म नहीं करेगा, तब जमानत दी जा सकती है।
इस सेक्शन को दिया था अवैध करार
जानकारी के अनुसार नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के सेक्शन 45(1) को अवैध करार दिया था, क्योंकि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी को जमानत के लिए 2 अतिरिक्त शर्तें रखी गई थीं। वहीं केंद्र सरकार ने PMLA एक्ट में संशोधन कर इन प्रावधानों को बरकरार रखा था। इस मामले पर पिछली सुनवाई 30 अप्रैल को हुई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था, कि अगर कोर्ट ने PMLA के तहत आरोपी को समन भेजा और वह पेश हुआ है तो क्या वो CrPc के तहत जमानत के लिए आवेदन कर सकता है? 30 अप्रैल को कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। इसके बाद अब यह साफ हो गया कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ समन जारी है और वह कोर्ट में समय पर पेश हो जाता है तो उसको ईडी गिरफ्तार नहीं कर पाएगी।
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