बुलडोजर एक्शन पर रोक : बिना नोटिस दिए नहीं कर सकेंगे कार्रवाई, SC ने जारी की नई गाइडलाइन

बिना नोटिस दिए नहीं कर सकेंगे कार्रवाई,  SC ने जारी की नई गाइडलाइन
UPT | Supreme Court

Nov 13, 2024 21:08

किसी व्यक्ति का घर केवल इसलिए नहीं गिराया जा सकता है कि उस पर कोई आरोप लगा है। अदालत ने कहा कि आरोपों पर फैसला न्यायपालिका का काम है कार्यपालिका का नहीं...

Nov 13, 2024 21:08

New Delhi News : देश में बुलडोजर एक्शन काफी विवादों में रहा है, बुधवार को इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर से की जा रही कार्रवाई असंवैधानिक है। किसी व्यक्ति का घर केवल इसलिए नहीं गिराया जा सकता है कि उस पर कोई आरोप लगा है। अदालत ने कहा कि आरोपों पर फैसला न्यायपालिका का काम है कार्यपालिका का नहीं। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि अपराध की सजा बुलडोजर कार्रवाई नहीं है। 

राज्य की मनमानी कार्रवाई पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की मनमानी कार्रवाइयों पर रोक लगाते हुए महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। अदालत ने कहा कि संविधान के तहत दिए गए अधिकारों को ध्यान में रखते हुए ही कोई भी आदेश जारी किया जाएगा। यह अधिकार राज्य के मनमानी कार्यों से व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। अदालत ने कहा कि यह अधिकार व्यक्तियों को राज्य की तानाशाही कार्यवाहियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं और किसी भी हाल में सत्ता के मनमाने प्रयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती। 



सुप्रीम कोर्ट ने जारी कि गाइडलाइंस
इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर द्वारा की जा रही कार्रवाई के संबंध में नई गाइडलाइंस जारी की हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी अवैध निर्माण की ध्वस्तीकरण कार्रवाई उचित तरीके से और संविधानिक दायरे में की जाए।
  1. यदि ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए।
  2. सड़क, नदी तट आदि पर अवैध संरचनाओं को प्रभावित न करने के निर्देश।
  3. बिना कारण बताओ नोटिस के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
  4. मालिक को पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और नोटिस को संरचना के बाहर चिपकाया भी जाएगा।
  5. नोटिस तामील होने के बाद अपना पक्ष रखने के लिए संरचना के मालिक को 15 दिन का समय दिया जाएगा।
  6. तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी।
  7. कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे।
  8. नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, निजी सुनवाई की तिथि और किसके समक्ष सुनवाई तय की गई है, निर्दिष्ट डिजिटल पोर्टल उपलब्ध कराया जाएगा, जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का विवरण उपलब्ध कराया जाएगा।
  9. प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई सुनेगा और मिनटों को रिकॉर्ड किया जाएगा. उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा। इसमें यह उत्तर दिया जाना चाहिए कि क्या अनधिकृत संरचना समझौता योग्य है और यदि केवल एक भाग समझौता योग्य नहीं पाया जाता है और यह पता लगाना है कि विध्वंस का चरम कदम ही एकमात्र जवाब क्यों है।
  10. आदेश डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा।
  11. आदेश के 15 दिनों के भीतर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर दिया जाएगा और केवल तभी जब अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो विध्वंस के चरण होंगे।
  12. विध्वंस की कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जाएगी.वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए. उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए।
  13. सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।
  14. इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना ​​और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी. अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
  15. सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए।
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दुर्भावनापूर्ण तरीके काम करने वालों को नसीहत
कोर्ट ने कहा अगर राज्य का कोई अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करता है, या पूरी तरह से मनमाने या दुर्भावनापूर्ण तरीके से काम करता है, तो उसे बख्शा नहीं जा सकता। निर्दोषता की धारणा आपराधिक न्यायशास्त्र का मूल पहलू है। ऐसी मनमानी, एकतरफा कार्रवाई का कानून के शासन वाले देश में कोई स्थान नहीं है। कोर्ट ने कहा अगर कार्यपालिका किसी व्यक्ति का मकान केवल इस आधार पर गिरा देती है कि वह अभियुक्त है, तो यह कानून के शासन का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की यहां तक कि गंभीर अपराधों के आरोपी और दोषी के खिलाफ भी बुलडोजर की कार्यवाही बिना नियम का पालन किए नहीं की जा सकती।

कार्रवाई अवैध पाए जाने पर क्या होगा
  • अगर तोड़फोड़ अवैध पाई जाती है, तो संपत्ति को पुनः स्थापित करना होगा।
  • नगरपालिका कानून, पंचायत कानून, नगर नियोजन कानून का उल्लंघन सिद्ध होना चाहिए।
  • प्रभारी अधिकारी को यह बताना होगा कि तोड़फोड़ ही एकमात्र रास्ता क्यों है।
  • तोड़फोड़ की पूरी वीडियोग्राफी होनी चाहिए।
  • तोड़फोड़ की सूचना जारी होने के बाद भी, एक विंडो होनी चाहिए।कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद उचित अवधि दी जानी चाहिए। उचित नोटिस होना चाहिए, सुनवाई होनी चाहिए।
  • पंजीकृत पोस्ट से नोटिस भेजा जाए। इसके साथ ही कार्रवाई का डिजिटल रिकॉर्ड हो।
  • अगर यह साबित हो जाए कि यह अनधिकृत निर्माण है, तो वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए।
  • भूमि, जल निकायों, वन भूमि पर अतिक्रमण को संरक्षण नहीं दिया जाएगा।
  • सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी
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