कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाले खानपान और फलों की दुकान पर मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने का मामला अभी रुका नहीं है कि दूसरा विवाद उछलने लगा है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई...
नेमप्लेट के बाद एक और विवाद : सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज, 'मांस हलाल या झटका' सभी दुकानों पर लिखा जाए...
Jul 26, 2024 14:22
Jul 26, 2024 14:22
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याचिका में क्या कहा?
याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड को आदेश जारी करना चाहिए कि यदि कोई रेस्तरां झटका मांस का विकल्प नहीं प्रदान करता है, तो इसे संविधान के अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता), अनुच्छेद 19(1)(जी) और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन माना जाएगा। याचिकाकर्ता का तर्क है कि झटका मांस के विकल्प की अनुपलब्धता से पारंपरिक रूप से हाशिए पर रहने वाले दलित समुदाय, जो मांस के कारोबार में सक्रिय हैं, पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा मार्ग पर खानपान और फलों की दुकानों पर मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया। मध्य प्रदेश को भी नोटिस जारी किया गया है, क्योंकि उज्जैन नगर निगम ने इसी प्रकार का आदेश जारी किया था।
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कांवड़ रूट नेमप्लेट मामले में सुनवाई
कांवड़ रूट नेमप्लेट मामले में शुक्रवार को फिर सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ रूट नेमप्लेट मामले में अंतरिम आदेश जारी रखा है। जिसके तहत दुकानदारों के नाम की नेमप्लेट पर अभी के लिए रोक जारी रहेगी। इसके साथ ही अदालत ने यूपी सरकार की याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश तब जारी किया गया है जब मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त दो हफ्ते का समय मांगा है।
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