श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में सुनवाई चल रही है। बुधवार को होने वाली सुनवाई में पक्षकार श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष और शाकुंभरी पीठ के महंत आशुतोष पांडेय मंगलवार रात मथुरा से प्रयागराज जाने के लिए निकले।
मथुरा शाही ईदगाह मामला : श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मुख्य वादी को फिर मिली धमकी, बोला-जानवर जैसी मौत मारेंगे, बम से उड़ा देंगे
Mar 14, 2024 23:36
Mar 14, 2024 23:36
उन्होंने बताया कि मंगलवार रात करीब 11.10 बजे उनके मोबाइल पर कई कॉल कर जान से मारने की धमकी दी गई। कॉल करने वाले ने कहा कि बम से उड़ा देंगे। जानवर जैसी मौत मारेंगे। साथ ही बेटे को भी मौत के घाट उतार देंगे। आशुतोष पांडेय ने सिविल लाइंस थाने में दी गई तहरीर में यह भी लिखा है कि कॉल करने वाले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ पर भी अभद्र टिप्पणी की। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के लिए भी अपशब्द का प्रयोग किया। सिविल लाइंस पुलिस ने मोबाइल नंबर, वाट्सएप नंबर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया है।
देवी-देवताओं को भी कहे अपशब्द
मुख्य वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि व श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट मथुरा के अध्यक्ष आशुतोष पांडेय ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि वह अपनी टीम के साथ हाईकोर्ट पैरवी करने के लिए मंगलवार को प्रयागराज के लिए मथुरा से चले। रास्ते में रात करीब 11.10 बजे उनके मोबाइल पर फोन आया। कॉल रिसीव करने पर दूसरी ओर से गाली देनी शुरू कर दी। उसने कहा कि जन्मभूमि में घुस कर तो देख, तुझे बम से उड़ा देंगे। इतना ही नहीं, फोन करने वाले ने देवी-देवताओं को लेकर भी गलत शब्दों का प्रयोग किया। आशुतोष पांडेय ने तहरीर में दो नंबरों को भी लिखा है। उन्होंनें पुलिस को बताया कि रात में ही एक वाट्सएप नंबर से कुछ वीडियो भी भेजी गई। सिविल लाइंस इंस्पेक्टर राम आश्रय के मुताबिक, मोबाइल नंबर, वाट्सएप नंबर के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है। आईपी नंबर के आधा पर जांच आगे बढ़ाई जाएगी।
पहले भी दी गई थी धमकी
इससे पहले भी आशुतोष को दो बार धमकियां मिल चुकी हैं, जिसके बारे में उन्होंने पुलिस से शिकायत की और अभी तक जांच चल रही है। वहीं मंगलवार रात को आए धमकी भरे फोन कॉल में फोन करने वाले ने कहा कि चाहे 50 एजेंसी जांच कर लें, उसका कोई कुछ नहीं कर सकता। इससे पहले 6 जनवरी 2024 को आशुतोष को पहली धमकी मिली। फोन करने वाले ने अपने को पाकिस्तान मुस्लिम संगठन का चीफ बताते हुए धमकी दी कि कोर्ट और यात्रा में गए तो सिर कलम कर देंगे। इसके साथ ही फेसबुक आईडी हैक करने की धमकी दी। इसके बाद फेसबुक आईडी हैक कर ली गई। पाकिस्तान के आतंकी संगठन ने श्री मठ माहेश्वरी धाम में धमाका कराने की धमकी दी। इसका संज्ञान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया। प्रमुख सचिव की ओर से 17 जनवरी 2024 को मुकदमा दर्ज करने का आदेश मथुरा पुलिस को दिया गया। फिर मुकदमा दर्ज हुआ।
22 फरवरी को दोबारा मिली धमकी
इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट से वापस मथुरा जाते समय 22 फरवरी को उनको फिर धमकी दी गई। आशुतोष पांडेय फतेहपुर पहुंचे थे, तभी कॉल आई। जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम संगठन ने फिर बम से उड़ाने की धमकी दी। इसका मुकदमा फतेहपुर कोतवाली में दर्ज है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल अर्जियों पर सुनवाई चल रही है।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग को लेकर वाद दाखिल किया गया है। जिसकी सुनवाई बुधवार को हुई। इस वाद में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया है। सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीपीसी के आर्डर 7 रूल 11 के तहत दाखिल अर्जियों पर अपनी दलीलें पेश की।
क्या कहा था मुस्लिम पक्ष ने
पिछली सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि वादी हिंदू पक्ष उस भूमि के मालिकाना अधिकार की मांग कर रहा है, जो 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह के प्रबंधन के बीच हुए समझौते का विषय था। वक्फ बोर्ड की अधिवक्ता तसलीमा अजीज अहमदी ने कहा कि दोनों पक्षों को विवादित भूमि का विभाजन होने के बाद एक दूसरे के क्षेत्र से दूर रहने की मांग की गई थी। ये मुकदमा पूजा स्थल अधिनियम और लिमिटेशन अधिनियम द्वारा वर्जित है।
अधिवक्ता अहमदी ने सूट नंबर 6 में वादपत्र के पैराग्राफ 14 का जिक्र करते हुए कहा था कि यह 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह के प्रबंधन के बीच हुए समझौते को स्वीकार करता है। मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि ये मुकदमा स्वीकार करता है कि 1669-70 में निर्माण के बाद विवादित संपत्ति पर शाही ईदगाह अस्तित्व में रही। याचिका का विरोध करते हुए मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि अगर यह मान भी लिया जाए कि मस्जिद का निर्माण 1969 में समझौते के बाद किया गया था, तब भी, अब मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता क्योंकि यह लिमिटेशन एक्ट द्वारा वर्जित होगा. इसमें 50 साल से अधिक की देरी भी हो चुकी है।
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