यूजीसी का बड़ा फैसला : शिक्षक भर्ती में होगा बदलाव, जानें बिना नेट के कौन बन पाएगा सहायक प्रोफेसर

शिक्षक भर्ती में होगा बदलाव, जानें बिना नेट के कौन बन पाएगा सहायक प्रोफेसर
UPT | प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार

Jan 07, 2025 13:45

यूजीसी ने 2025 के लिए नए नियमों का मसौदा तैयार किया है, जो उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव लाएंगे। इन बदलावों के तहत, अब शैक्षिक क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले लोग शिक्षा देने के लिए सक्षम होंगे। इसके साथ ही, कुलपति के लिए पात्रता मानदंड भी बदल दिए गए हैं।

Jan 07, 2025 13:45

Short Highlights
  • कुलपति के लिए पात्रता मानदंड बदले गए
  • विश्वविद्यालयों में संकाय सदस्यों की नियुक्ति के नियमों में बदलाव
  • बिना नेट पास बन पाएंगे सहायक प्रोफेसर
UGC : यूजीसी ने 2025 के लिए नए नियमों का मसौदा तैयार किया है, जो उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव लाएंगे। इन बदलावों के तहत, अब शैक्षिक क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले लोग शिक्षा देने के लिए सक्षम होंगे। इसके साथ ही, कुलपति के लिए पात्रता मानदंड भी बदल दिए गए हैं। अब उद्योग विशेषज्ञों, लोक प्रशासन, लोक नीति और सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े अधिकारियों को भी कुलपति के पद पर नियुक्ति के लिए योग्य माना जाएगा। इस बदलाव से उच्च शिक्षा में नए अनुभव और विशेषज्ञता का समावेश होगा।

नियुक्ति के नियमों में बदलाव
यूजीसी के नए दिशा-निर्देश विश्वविद्यालयों में संकाय सदस्यों की नियुक्ति के नियमों में बदलाव करेंगे। अब, जो लोग मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग (एमई) या मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एमटेक) में 55 प्रतिशत अंक के साथ स्नातकोत्तर डिग्री रखते हैं, उन्हें राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) पास किए बिना सीधे सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया जा सकेगा। इसके अलावा, नए मसौदा नियमों के अनुसार उम्मीदवारों को उनकी शैक्षणिक विशेषज्ञता के आधार पर पढ़ाने की अनुमति दी जाएगी। उदाहरण के लिए, जो रसायन विज्ञान में पीएचडी, गणित में स्नातक और भौतिकी में मास्टर डिग्री रखते हैं, वे रसायन विज्ञान पढ़ा सकते हैं। इसी तरह, अगर किसी ने NET परीक्षा किसी अन्य विषय में उत्तीर्ण की है, तो वे उसी विषय को पढ़ा सकते हैं।

यूजीसी अध्यक्ष ने दी जानकारी
यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने बताया कि कुलपति पद के लिए नए नियम बनाए हैं। पहले कुलपति बनने के लिए कम से कम 10 साल का विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का अनुभव जरूरी था, लेकिन अब उद्योग, प्रशासन और सार्वजनिक क्षेत्र में 10 साल का अनुभव रखने वाले लोग भी कुलपति पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। पहले कुलपति पद के लिए उम्मीदवारों को एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद होना जरूरी था, जिनके पास कम से कम दस वर्ष का विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में या किसी प्रमुख शैक्षणिक भूमिका का अनुभव हो। अब, उद्योग, लोक प्रशासन, लोक नीति या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कम से कम दस साल का अनुभव रखने वाले और शैक्षणिक या विद्वत्तापूर्ण योगदान का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रखने वाले व्यक्ति भी कुलपति पद के लिए योग्य माने जाएंगे।

यूजीसी के नए दिशा-निर्देश
चयन समितियां अब उम्मीदवारों का मूल्यांकन उनके व्यापक शैक्षणिक प्रभाव के आधार पर करेंगी। इसमें शिक्षण में नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास, उद्यमिता, पुस्तक लेखन, डिजिटल शिक्षण संसाधन, समुदाय और सामाजिक योगदान, भारतीय भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों का प्रचार, स्थिरता प्रथाओं और इंटर्नशिप, परियोजनाओं या सफल स्टार्टअप का पर्यवेक्षण जैसी गतिविधियां शामिल हैं। इससे शैक्षणिक योगदान के विभिन्न पहलुओं को महत्व मिलेगा और उभरते हुए क्षेत्रों को भी पहचान मिल सकेगी।

कई नए मानदंड लागू
नए दिशा-निर्देशों के तहत, अब एसोसिएट प्रोफेसर पदोन्नति के लिए कई नए मानदंड लागू किए गए हैं। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति के पास समकक्ष पत्रिकाओं में आठ शोध पत्र, आठ पुस्तक अध्याय, या एक प्रतिष्ठित प्रकाशक द्वारा एक पुस्तक प्रकाशित होने चाहिए। इसके अलावा, संशोधित दिशा-निर्देशों में कुलपति पद के लिए चयन समिति की संरचना में भी बदलाव किया गया है। अब यह तीन सदस्यीय पैनल बनेगा, जिसमें विजिटर या चांसलर, यूजीसी और विश्वविद्यालय के शीर्ष निकाय के सदस्य होंगे। पहले यह पैनल तीन से पांच सदस्यीय होता था।

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