प्रयागराज में घने जंगलों का विकास : मियावाकी तकनीक से विकसित हुआ ऑक्सीजन बैंक, श्रद्धालुओं को मिलेगी शुद्ध हवा

मियावाकी तकनीक से विकसित हुआ ऑक्सीजन बैंक, श्रद्धालुओं को मिलेगी शुद्ध हवा
UPT | प्रयागराज में घने जंगलों का विकास

Jan 08, 2025 15:05

महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध और स्वच्छ वायु प्रदान करने के लिए सरकार ने प्रयागराज में कई स्थानों पर घने जंगलों का विकास किया है। नगर निगम ने मियावाकी तकनीक के जरिए शहर के विभिन्न हिस्सों में...

Jan 08, 2025 15:05

Prayagraj News : महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध और स्वच्छ वायु प्रदान करने के लिए सरकार ने प्रयागराज में कई स्थानों पर घने जंगलों का विकास किया है। नगर निगम ने मियावाकी तकनीक के जरिए शहर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन बैंक स्थापित किए हैं, जो अब घने वन में तब्दील हो चुके हैं। इन प्रयासों से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है और शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।

मियावाकी तकनीक से 56 हजार वर्ग मीटर में घने वन का विकास
प्रयागराज नगर निगम ने पिछले दो सालों में मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल कर 56,000 वर्ग मीटर का ऑक्सीजन बैंक विकसित किया है। इस तकनीक में छोटे स्थानों पर तेजी से पौधे लगाए जाते हैं, जो अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं और वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं। इस परियोजना के तहत कई स्थानों पर पौधरोपण किया गया है। जिनमें से नैनी औद्योगिक क्षेत्र में 1.2 लाख पौधे लगाए गए हैं।

कचरे को वन में बदला, जलवायु में सुधार
मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल औद्योगिक कचरे से भरे क्षेत्रों में भी किया गया है। जैसे कि नैनी औद्योगिक क्षेत्र और बसवार कचरा डंपिंग यार्ड। यहां कचरे को हटाकर जैव विविधता वाले घने जंगल विकसित किए गए हैं, जिससे क्षेत्र में तापमान में कमी आई है और वायु प्रदूषण में भी गिरावट आई है।



जैव विविधता का संरक्षण
इस परियोजना में आम, नीम, महुआ, पीपल, सागौन, तुलसी, आंवला जैसी महत्वपूर्ण पौधों की प्रजातियों को शामिल किया गया है। जिससे न केवल पर्यावरण में सुधार हो रहा है, बल्कि स्थानीय जैव विविधता का संरक्षण भी हो रहा है।

शहरीकरण के बीच वनस्पति संरक्षण का समाधान
मियावाकी तकनीक की खोज जापानी वनस्पति शास्त्री अकीरा मियावाकी ने की थी। इस तकनीक में पौधों को एक-दूसरे से कम दूरी पर लगाया जाता है, जिससे वे जल्दी विकसित होते हैं और घने वन का रूप लेते हैं। इस तकनीक से लगाए गए पेड़ न केवल वायु और जल प्रदूषण को कम करते हैं, बल्कि मिट्टी का क्षरण भी रोकते हैं और जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ी पहल
नगर निगम के आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने बताया कि यह परियोजना महाकुंभ 2025 के दौरान श्रद्धालुओं को शुद्ध वायु प्रदान करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि इस तकनीक के जरिए प्रयागराज को अधिक हरा-भरा और स्वच्छ बनाने का लक्ष्य है, जिससे शहर की पर्यावरणीय स्थिति में सुधार हो सके।

Also Read

HMPV संक्रमण को लेकर अखाड़ा परिषद ने की अपील, बोले-लक्षण वाले संत तंबू में रहें

9 Jan 2025 12:51 AM

प्रयागराज महाकुंभ 2025 : HMPV संक्रमण को लेकर अखाड़ा परिषद ने की अपील, बोले-लक्षण वाले संत तंबू में रहें

चीन में तेजी से फैल रहे ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (HMPV) को लेकर महाकुंभ 2025 में भी चिंता बढ़ गई है। भारत में इस वायरस के अब तक आठ मामले सामने आ चुके हैं। और पढ़ें