उत्तराखंड में 5 फरवरी से विधानसभा का विशेष सत्र शुरू होने जा रहा है। जानकारी के मुताबिक 6 फरवरी को विधानसभा के पटल में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल रख दिया जाएगा।
UCC बिल पेश करेगा उत्तराखंड : गोवा में आजादी के पहले से लागू है सिविल कोड, जानिए इसके बारे में सब कुछ
Feb 06, 2024 10:00
Feb 06, 2024 10:00
- उत्तराखंड की विधानसभा में पेश होगा यूसीसी
- गोवा में आजादी से पहले से लागू है सिविल कोड
- दशकों पुराना है यूसीसी का संघर्ष
150 साल से ज्यादा पुराना है सिविल कोड का इतिहास
जानकारी के मुताबिक 1867 में पुर्तगाल में सिविल कोड बनाने की शुरुआत हुई। 1869 में इसे पुर्तगाल उपनिवेशों में भी लागू कर दिया गया था। तब गोवा भी पुर्तगालियों के कब्जे में था। 647 पन्नों में दर्ज इस दस्तावेज को तब पोर्च्युगीस सिविल कोड कहा जाता था। आजादी के बाद 1962 में पोर्च्युगीस सिविल कोड को भारत ने भी गोवा, दमन और दिउ एडमिनिस्ट्रेशन एक्ट, 1962 के सेक्शन 5(1) में जगह दे दी थी। इसे अब गोवा सिविल कोड के नाम से जाना जाता है। हालांकि 1966 में पुर्तगाल में अपने दी देश में इस कानून को नए सिविल कोड से बदल दिया था।
गोवा सिविल कोड में संपत्ति बंटवारे के क्या नियम?
गोवा सिविल कोड लगभग वैसा ही है, जिसकी परिकल्पना हम और आप यूनिफॉर्म सिविल कोड के रूप में करते हैं। इस कानून के मुताबिक संपत्ति पर पति और पत्नी का बराबर का अधिकार होता है। भले ही वह संपत्ति शादी के पहले खरीदी गई हो या बाद में। इसके अलावा संपत्ति बेचने के लिए भी पति और पत्नी को एक-दूसरे की अनुमति लेनी होती है। वहीं मां-बाप को अपनी आधी संपत्ति बच्चों के साथ साझा करनी होती है और इसमें भी बेटे-बेटी सबका बराबर का हिस्सा होता है।
शादी से लेकर टैक्स भरने तक के ये नियम
गोवा में लागू सिविल कोड के मुताबिक शादी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है। कोई भी व्यक्ति एक से ज्यादा शादी नहीं कर सकता, भले ही वह किसी भी धर्म का हो। हालांकि इसमें एक पेच भी है। अगर किसी हिंदू पुरुष की पत्नी 30 साल तक की उम्र तक बेटे को जन्म नहीं दे पाती, तो इस स्थिति में पुरुष दूसरा विवाह कर सकता है। इस कानून के तहत शादी के 2 चरण होते हैं। पहले में शादी का औपचारिक तौर पर एलान होता है जिसमें लड़का-लड़की और उनके माता-पिता का होना अनिवार्य होता है। जबकि दूसरे चरण में शादी का पंजीकरण किया जाता है। इसके अलावा गोवा में इनकम टैक्स पति और पत्नी दोनों की कमाई को जोड़कर लगाया जाता है।
कुछ नियमों को लेकर अभी भी है मतभेद
गोवा सिविल कोड के कुछ नियमों को लेकर अभी भी मतभेद है। दरअसल हिंदू पुरुष के दूसरी शादी करने को लेकर जो नियम हैं, उस पर कई लोग सवाल उठा चुके हैं। हालांकि गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंद ने कहा था कि 1910 से अब तक इसका फायदा किसी को नहीं दिया गया है। इसके अलावा भले ही गोवा में शादी, तलाक, संपत्ति बंटवारे को लेकर एकसमान नियम हों, लेकिन कैथोलिक धर्म के लोगों को सिर्फ शादी के पहले चरण में रजिस्ट्रार के सामने पेश होना पड़ता है। दूसरे चरण में चर्च में की गई शादी को मान्यता दे दी जाती है। इसी तरह कैथोलिक धर्म में चर्च के सामने दिए गए तलाक को भी मान्यता मिल जाती है। हालांकि दूसरे धर्मों के लिए यह छूट नहीं है।
दशकों की मेहनत के बाद कानून बनने जा रहा यूसीसी
उत्तराखंड में लागू होने जा रहा यूनिफॉर्म सिविल कोड केवल कुछ महीनों का ही परिणाम नहीं है, बल्कि इसके लिए दशकों से मेहनत की जा रही थी। 1967 में जनसंघ ने उत्तराधिकार और गोद लेने के लिए एकसमान कानून की वकालत की थी। 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इसे अपने घोषणा-पत्र में शामिल किया। इसके बाद अलग-अलग समय और चरणों में यूसीसी की बात होती रही और आखिरकार 2022 में भाजपा ने यह एलान कर दिया कि उत्तराखंड में सरकार बनते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। अब जाकर यूसीसी को लेकर भाजपा की कोशिश कामयाब होने जा रही है।
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