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आर्थिक सर्वेक्षण क्या है : देश की अर्थव्यवस्था के लिए क्यों है ये खास, जानिए कब हुई थी इसकी शुरुआत
Jul 22, 2024 16:06
Jul 22, 2024 16:06
जानिए क्या है आर्थिक सर्वेक्षण
आर्थिक सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो हर साल भारतीय सरकार वित्त मंत्री के द्वारा पेश करती है। यह सर्वेक्षण उस समय पेश किया जाता है जब देश का केंद्रीय बजट स्थापित किया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य देश की वित्तीय स्थिति और अर्थव्यवस्था का विश्लेषण करना होता है। आर्थिक सर्वेक्षण एक विस्तृत रिपोर्ट होती है जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान देश की आमदनी, खर्चे, और विभिन्न क्षेत्रों में विकास की स्थिति का विवरण होता है। इसके माध्यम से सरकार देश की अर्थव्यवस्था में हुए बदलावों को समझती है और आगामी वित्तीय वर्ष के लिए योजनाएं बनाती है। आर्थिक सर्वेक्षण का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य यह भी होता है कि यह संख्यात्मक डेटा प्रदान करके समाज को अर्थव्यवस्था के प्रति जागरूक बनाता है। इसके माध्यम से लोगों को यह भी पता चलता है कि उनके द्वारा चुनी गई सरकारी नीतियां कितनी सफल रही हैं और कहाँ सुधार की आवश्यकता है।
दो हिस्सों में होता आर्थिक सर्वेक्षण
आर्थिक सर्वे को दो हिस्सों में विभाजित किया जाता है। इसके पहले हिस्से में देश की अर्थव्यवस्था की मूल हकीकतें और उसके प्रमुख आंकड़े विस्तार से प्रस्तुत की जाती हैं। यहां शामिल होते हैं ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP), आय और व्यय के प्रमुख प्रकार, निवेशों की स्थिति, बजट डेफिसिट, और महत्वपूर्ण आर्थिक सेक्टरों के आंकड़े। यह सेकंडरी डेटा का महत्वपूर्ण स्रोत होता है जो सरकार और निजी संस्थाओं के लिए नीति निर्धारण में मदद करता है। आर्थिक सर्वे के दूसरे हिस्से में विभिन्न क्षेत्रों और सेक्टरों के प्रमुख आंकड़े दिखाए जाते हैं। यहां शामिल होते हैं कृषि, उद्योग, वाणिज्य, वित्तीय सेवाएं, और सूचना प्रौद्योगिकी सेक्टर के आंकड़े। इसके माध्यम से देश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे आर्थिक प्रगति का विश्लेषण किया जाता है, जिससे विभिन्न सेक्टरों की स्वास्थ्य और विकास की स्थिति का पता चलता है।
कैसे तैयार होता है आर्थिक सर्वे
देश के आर्थिक सर्वेक्षण से जुड़ा दस्तावेज आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में पेश किया जाता है। यह सर्वे समग्र अर्थव्यवस्था की स्वस्थता, विकास दिशा, और नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण आँकड़े प्रदान करता है।
- आवश्यकता और समर्थन : आर्थिक सर्वे की शुरुआत अर्थव्यवस्था के स्थिति और नीति निर्माण के लिए आवश्यकता से होती है। इसकी आवश्यकता को समझने के बाद, विभागीय और विशेषज्ञ समूहों के समर्थन और सलाह का आदान-प्रदान होता है।
- विशेषज्ञ समूहों का गठन : आर्थिक सर्वे के लिए विशेषज्ञ समूह गठित किये जाते हैं, जिनमें अर्थशास्त्रीय, सांकेतिक, आंकड़ानुसार, और विकास क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। ये समूह सर्वे के प्रारूप, प्रश्नों का चयन, और विश्लेषण की विधियों का निर्धारण करते हैं।
- डेटा संग्रह और विश्लेषण : सर्वे के लिए डेटा संग्रह की प्रक्रिया में विशेषज्ञ समूह नए और पुराने आंकड़ों का संग्रह करते हैं। यह आंकड़े विभिन्न प्रारूपों में व्यवस्थित किए जाते हैं ताकि उन्हें संदर्भित करने में आसानी हो।
- रिपोर्टिंग और प्रस्तुतिकरण : संग्रहित डेटा के आधार पर विशेषज्ञ समूह एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करते हैं जिसमें अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण, आकलन, और सुझाव शामिल होते हैं।
- सरकारी मंजूरी : अंतिम रिपोर्ट को वित्त मंत्री या उनके प्रतिनिधि को प्रस्तुत किया जाता है जिसके बाद इसे सार्वजनिक किया जाता है।
आर्थिक सर्वे का इतिहास
भारत का पहला आर्थिक सर्वे वर्ष 1950-51 में पेश किया गया था। प्रारंभ में, इसे बजट के दिन ही पेश किया जाता था, लेकिन वर्ष 1964 से इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा है, और यह प्रथा अब भी जारी है। आर्थिक सर्वे देश की अर्थव्यवस्था में बदलावों को समझने, नीति निर्माण में मदद करने और विकास की समीक्षा करने में महत्वपूर्ण साबित होता है।
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