इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि आरोप पत्र दाखिल करने के बाद मजिस्ट्रेट की इजाजत के बिना विवेचना अधिकारी या डीजीपी पुनर्विवेचना या अग्रिम विवेचना का आदेश नहीं दे सकते...
Prayagraj News : हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जांच अधिकारी या डीजीपी नहीं दे सकते पुनर्विवेचना का आदेश
Jun 12, 2024 12:16
Jun 12, 2024 12:16
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीसीपी और इंस्पेक्टर क्राइम सेल से मांगा जवाब।
- चार्जशीट पर मजिस्ट्रेट के संज्ञान लेने के बाद किस अधिकार से दिया पुनर्विवेचना का आदेश
- पुनर्विवेचना के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति लेना जरूरी है।
ये है पूरा मामला
मामला गौतमबुध नगर का है, जिसमें याची ने आरोपी ऋषि अग्रवाल के खिलाफ धोखाधड़ी व कूटरचना की एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद आरोप पत्र संबंधित मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल कर दिया। आरोपी ने आरोप पत्र को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन उसकी याचिका खारिज हो गई। इसके बाद गौतमबद्ध नगर के डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस ने ऋषि अग्रवाल की अर्जी पर बिना मजिस्ट्रेट की इजाजत लिए पुनर्विवेचना का आदेश दे दिया। इसके अनुपालन में क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर ने पुनर्विवेचना कर मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। आपत्ति करने पर याची पर फिर से साक्ष्य प्रस्तुत करने का दवाब बनाया जा रहा है। इसके लिए पुलिस ने यांची को नोटिस जारी कर दिया। याची ने नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर एवं न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने गौतमबुद्ध नगर के नवनीत की याचिका पर पारित किया है। इस मामले की पैरवी अधिवक्ता आलोक कुमार यादव कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर के पुलिस उपायुक्त और क्राइम ब्रांच के विवेचना अधिकारी से जवाब तलब कर पूर्व में दाखिल आरोप पत्र पर मुकदमा जारी रखने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई नौ जुलाई को होगी।
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