इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला : शराब पीना अपने आप में क्रूरता नहीं, परित्याग के आधार पर पति को तलाक की अनुमति

शराब पीना अपने आप में क्रूरता नहीं, परित्याग के आधार पर पति को तलाक की अनुमति
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Jan 17, 2025 12:50

पत्नी का शराब पीना तब तक पति के खिलाफ क्रूरता नहीं माना जा सकता। जब तक वह नशे में कोई अनुचित या असभ्य व्यवहार न करे...

Jan 17, 2025 12:50

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच विवाद से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि पत्नी का शराब पीना तब तक पति के खिलाफ क्रूरता नहीं माना जा सकता। जब तक वह नशे में कोई अनुचित या असभ्य व्यवहार न करे। हालांकि अदालत ने परित्याग (abandonment) के आधार पर पति को तलाक की अनुमति दे दी।

जानें पूरा मामला
यह मामला एक ऐसे दंपति का है, जिन्होंने 2015 में मेट्रिमोनियल वेबसाइट के जरिए शादी की थी। शादी के एक साल बाद 2016 में पत्नी अपने बेटे के साथ घर छोड़कर चली गई और कोलकाता में रहने लगी। पति ने पहले फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की थी, लेकिन वहां से याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणियां
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच जिसमें जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि क्रूरता और परित्याग, तलाक के लिए दो अलग-अलग कानूनी आधार हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि मध्यम वर्गीय समाज में शराब पीना भले ही असामान्य माना जाए, लेकिन यह अपने आप में क्रूरता नहीं है। कोर्ट ने कहा, "अगर शराब पीने के बाद पत्नी असभ्य या अनुचित व्यवहार नहीं करती है, तो इसे क्रूरता नहीं कहा जा सकता।" अदालत ने यह भी जोड़ा कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई सबूत नहीं है, जो दिखाए कि पत्नी के शराब पीने की आदत से पति पर मानसिक या शारीरिक रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ा हो।

पत्नी के व्यवहार पर अदालत का नजरिया
पति की ओर से यह भी आरोप लगाया गया कि पत्नी बिना बताए दोस्तों के साथ बाहर जाती है और शराब पीती है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इस तरह की गतिविधियां भी क्रूरता नहीं मानी जा सकतीं, जब तक कि इनसे परिवार के अन्य सदस्यों को कोई नुकसान न हो। रिकॉर्ड में ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि शराब पीने की आदत से पत्नी की प्रेग्नेंसी या बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई असर पड़ा हो। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह दर्शाए कि पत्नी के पुरुष दोस्तों से फोन कॉल्स या मेलजोल के कारण पति के साथ क्रूरता हुई हो।

परित्याग के आधार पर तलाक
हालांकि, अदालत ने पाया कि पत्नी 2016 से पति से अलग रह रही है और ससुराल लौटने की उसकी कोई मंशा नहीं है। साथ ही, हाईकोर्ट में दाखिल अपील में भी पत्नी ने कोई जवाब नहीं दिया, जिससे यह संकेत मिला कि वह पति के साथ संबंध सुधारने के प्रति गंभीर नहीं है। हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि पत्नी का इस तरह से घर छोड़कर चले जाना और ससुराल में वापसी न करना, परित्याग की श्रेणी में आता है। इस आधार पर पति की अपील को स्वीकार करते हुए तलाक की अनुमति दी गई।

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