इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिया अहम फैसला : पिता को पेंशन मिलने पर भी बेटी को मिलेगी मां की अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार, बीएसए का आदेश रद्द

पिता को पेंशन मिलने पर भी बेटी को मिलेगी मां की अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार, बीएसए का आदेश रद्द
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिया अहम फैसला

Oct 28, 2024 22:47

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के एक महत्वपूर्ण मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि परिवार में पिता पेंशनभोगी हैं, तब भी मां की मृत्यु के बाद बेटी अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार होगी।

Oct 28, 2024 22:47

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के एक महत्वपूर्ण मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि परिवार में पिता पेंशनभोगी हैं, तब भी मां की मृत्यु के बाद बेटी अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार होगी। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) मुरादाबाद के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने बेटी के आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उसके पिता पेंशन प्राप्त कर रहे हैं और परिवार को कोई आर्थिक संकट नहीं है। यह फैसला न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने फरहा नसीम की याचिका पर सुनाया।

मां के निधन के बाद बेटी ने मांगी अनुकंपा नियुक्ति
याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता फरहा नसीम की मां, शहाना बी, जो सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थीं, का निधन 2 नवंबर 2023 को हो गया था। मां की मृत्यु के बाद, याची ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मुरादाबाद के समक्ष आवेदन किया था। हालांकि, बीएसए ने फरहा के इस आवेदन को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उनके पिता पेंशनधारी हैं, और इस कारण परिवार आर्थिक रूप से सुरक्षित है। इसके अलावा, बीएसए ने यह भी तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की बहनें भी सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं, अतः परिवार में किसी प्रकार की आर्थिक कठिनाई नहीं होनी चाहिए। बीएसए के इस फैसले को फरहा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।



याचिकाकर्ता के वकील ने दिए कानूनी तर्क
याचिकाकर्ता के वकील, कमल कुमार केशरवानी ने हाईकोर्ट में तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि बीएसए द्वारा आवेदन को खारिज करना अवैध और अनुचित है। उन्होंने अदालत के समक्ष यह तथ्य प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता की बहनों की शादी मां के निधन से पहले हो चुकी थी, और भले ही बहनें कार्यरत हैं, इस स्थिति में याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। इस दौरान वंशिका निगम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य तीन मामलों का भी हवाला दिया गया, जिनमें कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि पेंशन मिलने के बावजूद योग्य आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार है।

बीएसए का आदेश रद्द
न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने दोनों पक्षों के तर्कों को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि बीएसए द्वारा अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को खारिज करने के लिए दिए गए तर्क कानून की नजर में टिकाऊ नहीं हैं। न्यायालय ने पाया कि आवेदन अस्वीकार करने का कारण सिर्फ पेंशन या परिवार के अन्य सदस्यों की नौकरी है, तो यह उचित नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता की मां ने सरकारी सेवा में योगदान दिया है और दुर्भाग्यवश उनकी मृत्यु हो गई है, तो उनकी बेटी को अनुकंपा नियुक्ति के लिए योग्य माना जाना चाहिए।

बीएसए को नए आदेश जारी करने के निर्देश
हाईकोर्ट ने बीएसए मुरादाबाद के आदेश को रद्द करते हुए उन्हें निर्देश दिया कि वह छह सप्ताह के भीतर फरहा नसीम के मामले में नया आदेश जारी करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश इस बात पर आधारित होना चाहिए कि माता-पिता में से किसी एक के पेंशन पाने से अनुकंपा नियुक्ति के अधिकार को खारिज नहीं किया जा सकता। 

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