इलाहाबाद हाईकोर्ट में आदेश न्यायमूर्ति एके सांगवान और न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने दिया। दोनों भाइयों की ओर से दाखिल की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि दोनों भाइयों की रिहाई...
इलाहाबाद हाईकोर्ट : उम्रकैद की सजा काट रहे भाइयों को मिल सकती है रिहाई, जानिए पूरा मामला
Sep 23, 2024 13:46
Sep 23, 2024 13:46
सांगवान और इदरीसी की खंडपीठ ने दिया ये निर्देश
यह आदेश न्यायमूर्ति एके सांगवान और न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने दिया। दोनों भाइयों की ओर से दाखिल की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि दोनों भाइयों की रिहाई की अर्जी पहले ही 5 दिसंबर 2023 और 1 मार्च 2024 को राज्य सरकार को भेजी गई थी, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया।
8 फरवरी 2010 को सुनाई थी सजा
इस मामले में याचियों के अधिवक्ता आदर्श शुक्ल ने कोर्ट में अपनी दलीलें पेश कीं। उन्होंने बताया कि वाराणसी की सत्र अदालत ने 8 फरवरी 2010 को दोनों भाइयों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ की गई अपील और विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) खारिज हो गई थी। इसके बाद भाइयों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें उन्होंने उल्लेख किया कि वे 17 साल से सजा काट रहे हैं और उनके पास समय पूर्व रिहाई का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने जेल प्राधिकारी को निर्देश दिया था कि वे विधिक सेवा प्राधिकरण की सहायता से याचियों की रिहाई की अर्जी राज्य सरकार को भेजें और सरकार को छह सप्ताह के भीतर नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया था। बावजूद इसके अगर रिहाई नहीं होती है। तो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का सहारा लिया गया।
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