इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : महिला का मेंटल हेल्थ हो सकता है तलाक का आधार, जानिए पूरा मामला

महिला का मेंटल हेल्थ हो सकता है तलाक का आधार, जानिए पूरा मामला
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Sep 16, 2024 10:05

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक के मामलों में पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य की जांच को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि तलाक की प्रक्रिया में पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेषज्ञ...

Sep 16, 2024 10:05

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक के मामलों में पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य की जांच को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि तलाक की प्रक्रिया में पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेषज्ञ की राय लेना बिल्कुल सही है। इस फैसले ने हाथरस फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश द्वारा दिए गए आदेश को सही ठहराया और उसे बरकरार रखा है।

जानिए क्या था मामला
हाथरस की फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक की याचिका के मामले में पत्नी की मेडिकल जांच की अनुमति दी थी। इस मेडिकल जांच का उद्देश्य यह था कि रिपोर्ट तलाक की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण आधार बने। पत्नी ने हाथरस फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के इस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी। जिसमें उन्होंने इस आदेश को चुनौती दी थी। पत्नी की याचिका में यह तर्क किया गया था कि हाथरस की फैमिली कोर्ट द्वारा पारित आदेश में टिप्पणियों ने मामले के अंतिम निपटान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। याचिकाकर्ता की ओर से दावा किया गया था कि ट्रायल कोर्ट ने मानसिक स्वास्थ्य की जांच के लिए बिना उचित मेडिकल बोर्ड के आदेश दिया जो कि कानूनन सही नहीं है। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जहां से रिपोर्ट मांगी गई थी एक सरकारी सुविधा नहीं है।

हाथरस के सीएमओ को मेडिकल बोर्ड गठित करना चाहिए
हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि हाथरस के सीएमओ को इस जांच के लिए एक उचित मेडिकल बोर्ड गठित करना चाहिए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मेडिकल बोर्ड में योग्य न्यूरोलॉजिस्ट, मनोचिकित्सक और अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल हों। जो कि जरूरी मूल्यांकन करने के लिए आवश्यक हैं। हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता पत्नी की याचिका को अस्वीकार कर दिया और कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश एक अंतरिम आदेश था। कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्य के स्तर पर मेडिकल राय मांगने में कोई गलती नहीं की है। उच्च न्यायालय ने यह निर्देश भी दिया कि सीएमओ हाथरस द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश की जाएगी और ट्रायल कोर्ट उस रिपोर्ट के आधार पर उचित निर्णय लेगी। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की डिवीजन बेंच ने की।

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