मथुरा मंदिर विवाद पर हाईकोर्ट की टिप्पणी : कहा- 'मंदिर का प्रबंधन बाहरी लोग करेंगे, तो आस्था घटेगी'

कहा- 'मंदिर का प्रबंधन बाहरी लोग करेंगे, तो आस्था घटेगी'
UPT | मथुरा मंदिर विवाद पर हाईकोर्ट की टिप्पणी

Aug 31, 2024 20:35

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा के मंदिरों से जुड़े दीवानी मुकदमों की लंबित स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए अधिवक्ताओं और जिला प्रशासन को मंदिरों के प्रबंधन से दूर रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

Aug 31, 2024 20:35

Short Highlights
  • मथुरा मंदिर विवाद पर हाईकोर्ट की टिप्पणी
  • धार्मिक बिरादरी द्वारा प्रबंधन की कही बात
  • कोर्ट ने कहा- मुकदमा लंबित रखते हैं वकील
Prayagraj News : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा के मंदिरों से जुड़े दीवानी मुकदमों की लंबित स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए अधिवक्ताओं और जिला प्रशासन को मंदिरों के प्रबंधन से दूर रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है। अदालत ने यह टिप्पणी मथुरा के एक मंदिर से जुड़े विवाद के संदर्भ में एक ‘रिसीवर’ की नियुक्ति पर अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने बताया कि मथुरा में 197 मंदिरों से जुड़े दीवानी मुकदमे लंबित हैं और इस पर प्रभावी कार्रवाई की जरूरत है। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा कि मंदिरों और धार्मिक ट्रस्टों का प्रबंधन बाहरी लोगों के बजाय धार्मिक बिरादरी के व्यक्तियों द्वारा किया जाना चाहिए, ताकि लोगों की आस्था बनी रहे।

मंदिरों में रिसीवर को लेकर की टिप्पणी
अदालत ने विशेष रूप से उन वकीलों की नियुक्ति की मौजूदा व्यवस्था पर नाराजगी जताई, जिन्होंने मथुरा के प्रसिद्ध मंदिरों में रिसीवर के रूप में कार्य किया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि मंदिरों के प्रबंधन में वकीलों की नियुक्ति मुकदमे की प्रक्रिया को लंबा खींच रही है, क्योंकि रिसीवर बनने की होड़ के चलते मुकदमों के निस्तारण में रुचि नहीं ली जा रही। कोर्ट ने कहा कि इन मंदिरों के रिसीवर को वेदों और शास्त्रों का ज्ञान होना चाहिए और धार्मिक झुकाव भी होना चाहिए, ताकि मंदिरों का प्रबंधन ठीक से हो सके।

धार्मिक बिरादरी द्वारा प्रबंधन की कही बात
मथुरा के जिला जज को अदालत ने निर्देश दिए हैं कि वे विवादित मंदिरों की सूची तैयार करें और सिविल वादों के शीघ्र निपटारे के लिए सभी आवश्यक प्रयास करें। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 28 अगस्त के अपने निर्णय में कहा कि मंदिरों से जुड़े मुकदमों को दशकों तक लंबित रखने से विवाद बढ़ेगा और लोगों की आस्था प्रभावित होगी। कोर्ट ने कहा कि यह जरूरी है कि मंदिरों का प्रबंधन धार्मिक बिरादरी द्वारा किया जाए और वकीलों और जिला प्रशासन को इस प्रक्रिया से दूर रखा जाए।

कोर्ट ने कहा- मुकदमा लंबित रखते हैं वकील
अदालत ने मथुरा में वकीलों द्वारा नियुक्त रिसीवर्स की आलोचना की और कहा कि वे अक्सर मुकदमों को निपटाने की बजाय लंबित रखने में रुचि दिखाते हैं। कोर्ट ने कहा कि इस रुख के कारण मंदिरों के प्रबंधन और संचालन में सुधार की संभावना कम हो जाती है। इसलिए, यह आवश्यक है कि मथुरा के मंदिरों को वकीलों के चंगुल से मुक्त किया जाए और धार्मिक व्यक्तियों को प्रबंधन सौंपा जाए।

ऐसे आवेदनों पर नहीं होगा विचार
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) मथुरा द्वारा 28 मार्च 2023 के आदेश को रद्द करते हुए प्रकरण को वापस भेजने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जो आवेदक मुकदमे में पक्षकार नहीं हैं, उनके आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता। अदालत ने इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए निर्देश दिए कि जिला न्यायाधीश मथुरा अपने अधिकारियों को इस आदेश से अवगत कराएं और मंदिरों और ट्रस्टों से संबंधित दीवानी विवादों को शीघ्र निपटाने का हरसंभव प्रयास करें।

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