शादी में मिले गिफ्ट की सूची बनाना जरूरी : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश, राज्य सरकार को भी नोटिस

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश, राज्य सरकार को भी नोटिस
सोशल मीडिया | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश

May 15, 2024 16:29

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दहेज के झूठे मुकदमे से बचने के लिए शादी के दौरान मिले हुए उपहारों की एक सूची बनाई जानी चाहिए।

May 15, 2024 16:29

Short Highlights
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश
  • शादी में मिले गिफ्ट की सूची बनाना जरूरी
  • राज्य सरकार को भी नोटिस जारी
Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दहेज के झूठे मुकदमे से बचने के लिए शादी के दौरान मिले हुए उपहारों की एक सूची बनाई जानी चाहिए। इसके लिए बेंच ने दहेज निषेध नियम, 1985 का हवाला दिया। कोर्ट ने ये भी कहा कि शादी के दौरान मिले गिफ्ट को दहेज नहीं माना जाएगा।

कोर्ट ने क्यों दिया ऐसा आदेश?
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट कुछ वादियों द्वारा दाखिल 482 दंड प्रक्रिया संहिता के केस की सुनवाई कर रहा था। कोर्ट ने दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1985 का हवाला देते हुए कहा कि शादी में दुल्हा-दुल्हन को मिलने वाले गिफ्ट की एक लिस्ट बनानी चाहिए। इस लिस्ट पर वर और वधू दोनों के हस्ताक्षर भी होने चाहिए। लिस्ट से यह साफ रहेगा कि उन्हें क्या-क्या मिला है। कोर्ट ने कहा कि यह इसलिए जरूरी है ताकि दहेज के झूठे मुकदमे दर्ज न कराए जा सकें।

गिफ्ट और दहेज में बताया अंतर
कोर्ट ने अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि शादी के दौरान लड़का और लड़की को मिलने वाले गिफ्ट को दहेज नहीं माना जा सकता है। भारत में शादियों में गिफ्ट देने का रिवाज है। इसलिए सबसे अच्छा यह होगा कि शादी के दौरान मौके पर मिली सभी चीजों की लिस्ट बनाकर वर-वधू से साइन कराए जाएं। इससे भविष्य में लगने वाले बेवजह आरोपों से बचा जा सकेगा। कोर्ट ने ये भी कहा कि दहेज की मांग का आरोप लगाने वाले लोग अपनी याचिका के साथ ऐसी लिस्ट क्यों नहीं लगाते।

राज्य सरकार को भी नोटिस जारी
हाईकोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार को भी नोटिस जारी कर हलफनामा मांगा है कि सरकार बताए कि उसने दहेज प्रतिषेध अधिनियम के नियम 10 के तहत कोई रूल प्रदेश के लिए बनाया है या नहीं। कोर्ट ने कहा कि अधिनियम के तहत को दहेज प्रतिषेध अधिकारियों की भी तैनाती की जानी चाहिए। लेकिन आज तक शादियों में ऐसे अधिकारियों को नहीं भेजा गया। राज्य सरकार को बताना चाहिए कि उसने ऐसा क्यों नहीं किया।, जबकि दहेज से जुड़े मामले खूब बढ़ रहे हैं।

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