फास्टैग नहीं होने पर लिया गया था दोगुना टोल : इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच व्यक्ति ने लगाई थी गुहार, जानिए अदालत ने क्या कहा

इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच व्यक्ति ने लगाई थी गुहार, जानिए अदालत ने क्या कहा
UPT | फास्टैग नहीं होने पर लिया गया था दोगुना टोल

Aug 11, 2024 14:48

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टोल शुल्क से संबंधित दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें फास्टैग लेन को अनिवार्य करने और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा 7 की वैधता को चुनौती दी गई थी।

Aug 11, 2024 14:48

Short Highlights
  • टोल टैक्स को बताया था दोहरा कराधान
  • कोर्ट बोला- इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते
  • फास्टैग की अनिवार्यता को बताया सही
Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टोल शुल्क से संबंधित दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें फास्टैग लेन को अनिवार्य करने और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा 7 की वैधता को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता विजय प्रताप सिंह ने दलील दी थी कि सभी टोल लेन को फास्टैग लेन घोषित करना असंवैधानिक है और इससे फास्टैग न लगाने पर दोगुना शुल्क वसूला जा रहा है। हालांकि, कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया और फास्टैग के अनिवार्य उपयोग को सही ठहराया, यह कहते हुए कि ऐसा निर्णय एक नीतिगत उपाय है।

टोल टैक्स को बताया था दोहरा कराधान
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि रोड टैक्स और टोल शुल्क का उद्देश्य और अधिकार अलग-अलग हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि रोड टैक्स और टोल शुल्क का भुगतान दोहरी कराधान है, लेकिन कोर्ट ने इस दावे को अस्वीकार कर दिया। अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा 7 और संबंधित नियम 2008 के तहत टोल शुल्क वसूला जाता है, जो रोड टैक्स से स्वतंत्र है और दोनों का उद्देश्य अलग-अलग है।

प्रतिवादी की दलील को किया स्वीकार
कोर्ट ने प्रतिवादी के वकील प्रांजल मेहरोत्रा की दलील को स्वीकार किया, जिसमें कहा गया था कि फास्टैग के माध्यम से टोल भुगतान यात्रियों के लिए फायदेमंद है। न्यायालय ने यह माना कि फास्टैग की अनिवार्यता कोई असंवैधानिकता नहीं है और यह डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए एक सकारात्मक कदम है। कोर्ट ने यह भी कहा कि फास्टैग लेन का निर्माण यातायात की सुविधा और प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए किया गया है।

कोर्ट बोला- इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते
न्यायालय ने केंद्र सरकार के द्वारा फास्टैग लेन को अनिवार्य बनाने के निर्णय को एक नीतिगत निर्णय करार दिया और कहा कि इस पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि फास्टैग लेन की अनिवार्यता और टोल शुल्क की दरें नीतिगत निर्णय हैं, जो सरकार द्वारा यातायात की सुविधा और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन नियमों का उद्देश्य यात्रियों को लंबी कतारों से राहत प्रदान करना है।

फास्टैग की अनिवार्यता को बताया सही
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए फास्टैग के अनिवार्य उपयोग और संबंधित टोल संग्रह प्रणाली की वैधता को प्रमाणित किया। मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के दावे को अस्वीकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि फास्टैग लेन की अनिवार्यता असंवैधानिक है और रोड टैक्स के भुगतान के बाद टोल शुल्क लेना गलत है। कोर्ट ने कहा कि फास्टैग की अनिवार्यता और टोल शुल्क के नियम कानून के अनुरूप हैं और इनका उद्देश्य यात्रियों की सुविधा को बढ़ाना है।

Also Read

संत-महंतों के कारवां को देख उमड़ी भक्तों की भीड़, चरण धूल को माथे पर लगाते दिखे श्रद्धालु

15 Jan 2025 02:01 PM

प्रयागराज महाकुंभ में आस्था का अनूठा नजारा : संत-महंतों के कारवां को देख उमड़ी भक्तों की भीड़, चरण धूल को माथे पर लगाते दिखे श्रद्धालु

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन हो रहा है, जिसमें आस्था का जनसैलाब उमड़ा हुआ है। श्रद्धालु देश-विदेश से यहां आकर गंगा, यमुन और सरस्वती के संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए पहुंचे हैं... और पढ़ें