इलाहाबाद हाईकोर्ट की पुलिस को फटकार : गैंगस्टर एक्ट का दुरुपयोग कर रहे अधिकारी, कोर्ट में ऋग्वेद, बाइबिल और कुरान का जिक्र

गैंगस्टर एक्ट का दुरुपयोग कर रहे अधिकारी, कोर्ट में ऋग्वेद, बाइबिल और कुरान का जिक्र
UPT | प्रदेश में गैंगस्टर एक्ट के दुरुपयोग पर हाईकोर्ट सख्त

Jul 27, 2024 17:06

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के सरकारी अधिकारियों को यूपी गैंगस्टर अधिनियम के दुरुपयोग पर कड़ी फटकार लगाई गई है।

Jul 27, 2024 17:06

Short Highlights
  • गैंगस्टर एक्ट के दुरुपयोग पर हाईकोर्ट सख्त
  • कोर्ट ने धार्मिक किताबों का दिया हवाला
  • याचिकाओं पर अदालत में हो रही थी सुनवाई
Prayagraj News : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के सरकारी अधिकारियों को यूपी गैंगस्टर अधिनियम के दुरुपयोग पर कड़ी फटकार लगाई गई है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने पांच अलग-अलग आपराधिक याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया।

'गैंगस्टर एक्ट का दुरुपयोग कर रहे अधिकारी'
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कई मामलों में सरकारी अधिकारी बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए गैंगस्टर अधिनियम लागू कर देते हैं। यह प्रवृत्ति न केवल कानून के शासन के खिलाफ है, बल्कि निर्दोष लोगों के मानवाधिकारों का भी उल्लंघन करती है। हाईकोर्ट ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि कुछ अधिकारी गैंगस्टर एक्ट का दुरुपयोग कर निर्दोष लोगों को फंसा रहे हैं। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि गैंगस्टर अधिनियम के तहत कार्रवाई करने से पहले यूपी गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) नियम, 2021 द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले एक गैंग चार्ट तैयार किया जाना चाहिए, जो कि अपराधियों पर गैंगस्टर अधिनियम लागू करने का पहला चरण होता है।

कोर्ट ने धार्मिक किताबों का दिया हवाला
हाई कोर्ट ने यह भी पाया कि कई मामलों में सक्षम प्राधिकारी गैंग चार्ट तैयार करने में निर्धारित प्रक्रिया का ठीक से पालन नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यद्यपि राज्य के सभी अधिकारियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन यह सच है कि उनमें से कई 2021 के नियमों द्वारा निर्धारित उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना गैंगस्टर अधिनियम लागू कर रहे हैं। न्यायालय ने अपने आदेश में धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि सभी धर्म निर्दोष लोगों के उत्पीड़न पर रोक लगाते हैं। कोर्ट ने ऋग्वेद, बाइबिल और कुरान से उदाहरण देते हुए इस बात पर जोर दिया कि निर्दोष व्यक्तियों को दंडित करना एक बड़ा पाप है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अधिकारियों को प्रशिक्षण या क्रैश कोर्स के लिए भेजे ताकि वे निर्देशों के अनुसार गैंग चार्ट तैयार करना सीख सकें। कोर्ट ने यह भी कहा कि गैंग चार्ट तैयार करते समय आरोप पत्र दाखिल करने की तारीख गैंग चार्ट के कॉलम 6 में अंकित की जानी चाहिए और सक्षम अधिकारी अपनी अपेक्षित संतुष्टि को स्पष्ट शब्दों में लिखकर दर्ज करें, न कि पहले से टाइप की गई संतुष्टि पर हस्ताक्षर करके।

'दोषपूर्ण गैंग चार्ट तैयार कर रहे अधिकारी'
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि गैंग चार्ट को मंजूरी देने से पहले जिला मजिस्ट्रेट/पुलिस आयुक्त को जिला पुलिस प्रमुखों के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित करनी चाहिए ताकि गैंगस्टर अधिनियम लागू करने के लिए उपलब्ध सबूतों पर चर्चा की जा सके। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पूर्व में भी सभी जिला मजिस्ट्रेटों और जिला पुलिस प्रमुखों को पूर्व-टाइप किए गए संतुष्टि पत्र पर हस्ताक्षर करने के बजाय गैंग चार्ट में अपनी अपेक्षित संतुष्टि दर्ज करने के लिए विशिष्ट निर्देश दिए गए थे, फिर भी कुछ अधिकारी अभी भी प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहे थे और दोषपूर्ण गैंग चार्ट तैयार कर रहे हैं। इस मामले में पांच व्यक्तियों ने अलग-अलग आपराधिक याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें उनके खिलाफ तैयार किए गए गैंग चार्ट को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि उनके खिलाफ तैयार किए गए गैंग चार्ट 2021 के नियमों के अनुसार नहीं थे।

याचिकाओं पर अदालत में हो रही थी सुनवाई
सभी याचिकाओं में यूपी गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 के तहत दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि सक्षम अधिकारियों ने अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया और 2021 के नियमों का उल्लंघन करते हुए गैंग चार्ट तैयार किए। साथ ही, याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि संबंधित एफआईआर के गैंग चार्ट तैयार करते समय हाईकोर्ट के कई पूर्व निर्देशों का भी उल्लंघन किया गया। कोर्ट ने इन याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पाया कि संबंधित अधिकारियों ने वास्तव में गैंग चार्ट तैयार करते समय अपेक्षित संतुष्टि दर्ज नहीं की थी और कई अन्य प्रक्रियागत खामियां भी थीं। इन कारणों से, न्यायालय ने सभी विवादित एफआईआर और गैंग चार्ट को रद्द कर दिया।

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