शादी से मुकरने को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : सहमति से बने संबंध को नहीं माना बलात्कार, महिला के आरोप खारिज

सहमति से बने संबंध को नहीं माना बलात्कार, महिला के आरोप खारिज
UPT | हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Oct 04, 2024 00:13

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सहमति से बने लंबे समय के संबंध को केवल शादी के वादे के उल्लंघन के आधार पर बलात्कार नहीं माना जा सकता।

Oct 04, 2024 00:13

Short Highlights
  • शादी से मुकरने को लेकर हाईकोर्ट का फैसला
  • महिला ने लगाए थे संबंध बनाने के आरोप
  • कोर्ट ने नहीं माना बलात्कार
Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सहमति से बने लंबे समय के संबंध को केवल शादी के वादे के उल्लंघन के आधार पर बलात्कार नहीं माना जा सकता। न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने यह फैसला सुनाया है, जिसमें उन्होंने बलात्कार और जबरन वसूली के आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 12 साल से अधिक समय तक चले रिश्ते को कानूनी नजरिए से देखने पर बलात्कार के आरोप सही नहीं पाए गए।

महिला ने लगाए थे संबंध बनाने के आरोप
यह मामला 21 मार्च, 2018 को एक मुरादाबाद की महिला द्वारा श्रेय गुप्ता के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी से संबंधित है। महिला ने आरोप लगाया था कि गुप्ता ने उसके पति के गंभीर बीमार होने के दौरान उसके साथ यौन संबंध बनाए और बाद में शादी का वादा किया। लेकिन, पति की मृत्यु के बाद, गुप्ता ने दूसरी महिला से सगाई कर ली। महिला ने गुप्ता पर जबरन बलात्कार का आरोप लगाते हुए 50 लाख रुपये की मांग करने का भी दावा किया था।



आरोपी ने रखा बचाव में पक्ष
आरोपी श्रेय गुप्ता ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनका रिश्ता पूरी तरह से सहमति से था और यह 12-13 साल तक चला। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महिला ने एक करोड़ रुपये के वित्तीय विवाद से बचने के लिए झूठे आरोप लगाए। गुप्ता ने कोर्ट में कहा कि यह रिश्ता उस समय भी जारी रहा जब महिला का पति जीवित था, और उन्होंने कोई भी बलात्कारी या जबरन वसूली का कृत्य नहीं किया।

कोर्ट ने नहीं माना बलात्कार
कोर्ट ने मामले के तथ्यों और संबंधित कानूनी मिसालों की गहराई से जांच की। न्यायालय ने कहा कि बलात्कार के आरोप को IPC की धारा 375 के तहत पुष्ट नहीं किया जा सका, क्योंकि इसमें सहमति की अनुपस्थिति आवश्यक थी। न्यायालय ने प्रमोद सूर्यभान पवार और महेश्वर तिग्गा के मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि शादी के वादे का उल्लंघन बलात्कार नहीं माना जाता जब तक कि यह साबित न हो कि वादा धोखाधड़ी से किया गया था।

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