इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला : लिव-इन रिलेशनशिप में भी लागू होता है दहेज उत्पीड़न कानून, कहा- पति-पत्नी जैसे रहना ही सबूत

लिव-इन रिलेशनशिप में भी लागू होता है दहेज उत्पीड़न कानून, कहा- पति-पत्नी जैसे रहना ही सबूत
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Oct 08, 2024 11:11

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पति-पत्नी की तरह साथ रहने वाले जोड़ों पर भी दहेज उत्पीड़न का मामला...

Oct 08, 2024 11:11

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पति-पत्नी की तरह साथ रहने वाले जोड़ों पर भी दहेज उत्पीड़न का मामला चल सकता है। यह फैसला आदर्श यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई पुरुष और महिला पति-पत्नी की तरह रह रहे हों तो दहेज उत्पीड़न कानून के प्रावधान उन पर भी लागू होते हैं। चाहे उनके बीच कानूनी विवाह हुआ हो या नहीं।

दहेज उत्पीड़न और आत्महत्या का मामला
मामला प्रयागराज के कोतवाली थाना क्षेत्र से जुड़ा है। जहां आदर्श यादव के खिलाफ उसकी लिव-इन पार्टनर ने दहेज उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। बताया गया कि आदर्श द्वारा प्रताड़ित किए जाने से तंग आकर उसकी प्रेमिका ने आत्महत्या कर ली थी। इस घटना के बाद पुलिस ने जांच कर चार्जशीट दाखिल की। जिसमें आदर्श के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप शामिल था। आरोपी ने ट्रायल कोर्ट में अपराध से मुक्ति पाने के लिए याचिका दाखिल की थी परंतु ट्रायल कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

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पति-पत्नी न होने की दी दलील
आदर्श यादव की ओर से हाईकोर्ट में यह दलील दी गई कि वह महिला का पति नहीं था और इस वजह से दहेज उत्पीड़न का मामला उस पर नहीं बनता। यादव ने इस बात को आधार बनाते हुए अपने ऊपर लगे आरोपों को निरस्त करने की मांग की। इस पर सरकारी वकील ने तर्क दिया कि याची और मृतिका एक-दूसरे के साथ पति-पत्नी की तरह रहते थे और याची पर मृतिका को दहेज के लिए प्रताड़ित करने के पर्याप्त साक्ष्य भी हैं। सरकारी वकील ने यह भी बताया कि मृतिका की कोर्ट मैरिज याची के साथ हुई थी और प्रताड़ना से तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली।

लिव-इन में भी लागू होगा दहेज उत्पीड़न कानून- कोर्ट
हाईकोर्ट के जस्टिस राजबीर सिंह की एकल पीठ ने आदर्श यादव की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कानूनी तौर पर पति-पत्नी न होते हुए भी दोनों का साथ रहना और दहेज उत्पीड़न के आरोपों के साक्ष्य उनके संबंध को पति-पत्नी जैसा साबित करने के लिए पर्याप्त हैं। कोर्ट ने कहा कि दहेज उत्पीड़न के मामले में इस तरह के रिश्ते में भी महिला के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।

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