Allahabad Highcourt : सास-ससुर की देखभाल न करना कतई क्रूरता नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक याचिका पर सुनाया ये फैसला

सास-ससुर की देखभाल न करना कतई क्रूरता नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक याचिका पर सुनाया ये फैसला
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Aug 29, 2024 13:30

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले मे बताया कि एक पत्नी द्वारा अपने सास-ससुर की उचित देखभाल न करना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता और इस आधार पर पति तलाक की याचिका नहीं दायर...

Aug 29, 2024 13:30

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले मे बताया कि एक पत्नी द्वारा अपने सास-ससुर की उचित देखभाल न करना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता और इस आधार पर पति तलाक की याचिका नहीं दायर कर सकता। इस मामले में हाईकोर्ट ने मुरादाबाद फेमिली कोर्ट के प्रधान जज के फैसले को बरकरार रखते हुए पति की अर्जी को खारिज कर दिया।

जानिए क्या था मामला
ज्योतिष चंद्र थपलियाल ने अपनी पत्नी देवेश्वरी थपलियाल के खिलाफ तलाक की याचिका दायर की थी। ज्योतिष चंद्र और देवेश्वरी की शादी के बाद ज्योतिष चंद्र अपने माता-पिता से दूर काम के सिलसिले में रह रहे थे। उन्होंने अपेक्षा की कि उनकी पत्नी उनके माता-पिता के साथ रहे और उनकी देखभाल करे। लेकिन देवेश्वरी का मानना था कि वह अपने पति के साथ रहना चाहती थी न कि सास-ससुर के साथ। ज्योतिष चंद्र ने मुरादाबाद फेमिली कोर्ट में दावा किया कि उनकी पत्नी ने सास-ससुर की उचित देखभाल नहीं की और इसे क्रूरता के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने तलाक की अर्जी के समर्थन में यह तर्क भी प्रस्तुत किया कि उनकी पत्नी ने उनके माता-पिता की देखभाल नहीं की जो कि उनकी नजर से क्रूरता थी।

फैमिली कोर्ट का फैसला
मुरादाबाद फेमिली कोर्ट ने ज्योतिष चंद्र की अर्जी को खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि चूंकि ज्योतिष चंद्र स्वयं अपने माता-पिता से अलग रह रहे थे, उनकी पत्नी द्वारा सास-ससुर के साथ रहने से इंकार को तलाक के लिए आधार नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि पति या पत्नी का अपने वृद्ध माता-पिता की देखभाल करने में विफल होना, विशेषकर तब जब वे स्वयं अपने वैवाहिक घर से दूर रह रहे हों, क्रूरता के रूप में नहीं देखा जा सकता।

हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला
ज्योतिष चंद्र ने मुरादाबाद फेमिली कोर्ट के निर्णय को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की। हाईकोर्ट ने बताया कि एक पति या पत्नी द्वारा अपने वृद्ध माता-पिता की देखभाल करने में विफलता को क्रूरता के रूप में नहीं माना जा सकता। अदालत ने मुरादाबाद फेमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए पति की तलाक की अपील को खारिज कर दिया।

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