मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान संविधान दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कई ऐतिहासिक, वैचारिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने संविधान, धर्म और युवाओं की भूमिका पर विशेष जोर दिया।
सीएम योगी की युवाओं से अपील : राष्ट्र और धर्म के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में दिया संबोधन
Nov 27, 2024 14:28
Nov 27, 2024 14:28
संविधान और धर्मनिरपेक्षता का विवाद
मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन के दौरान कहा कि "पंथनिरपेक्ष" और "समाजवादी" शब्द भारतीय संविधान में मूल रूप से नहीं थे, ये बाद में जोड़े गए। उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग इन शब्दों को जोड़ने के पीछे थे, वही समाजवादी आज संविधान बचाने का नारा लगा रहे हैं। इसके साथ ही न्यायपालिका और लोकतंत्र पर कुठाराघात के मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग धर्म और राजनीति को अपने हित में प्रयोग कर रहे हैं।
धर्म का वास्तविक अर्थ
योगी आदित्यनाथ ने धर्म का वास्तविक अर्थ बताते हुए इसको "सांसारिक उत्थान और जीवन की पवित्रता" से जोड़ा। उन्होंने कहा कि भारतीय धर्म की परंपरा हमेशा समावेशी रही है, जिसमें सभी धर्मों का स्वागत किया गया है। सनातन धर्म सबसे पुराना है इसके संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह अपने हित के लिए किसी का अहित नहीं करता। अगर इसके हित से किसी का अहित होता है तो ये उस अपने हित को भी अस्वीकार कर देता है।
सीएम योगी की युवाओं से अपील
मुख्यमंत्री ने युवाओं को आगाह किया कि वे उन लोगों को आदर्श न मानें जो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर समाज को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं ने जब भी धर्म और देश के लिए संगठित होकर कार्य किया है, तो सकारात्मक परिणाम आए हैं। उन्होंने भगवान राम, श्रीकृष्ण, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, महाराणा प्रताप और वीर सावरकर का उदाहरण देते हुए उन्होंने युवाओं को इनसे प्रेरणा लेने की बात कही। देश के युवाओं का योगदान उन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में युवाओं की भूमिका को रेखांकित किया। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के बलिदान और वीर सावरकर जैसे शहीदों की प्रतिबद्धता को उन्होंने युवाओं के लिए आदर्श बताया।
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