महाकुंभ में अमृत स्नान का काउंटडाउन शुरू : संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे लाखों श्रद्धालु

संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे लाखों श्रद्धालु
UPT | प्रयागराज के संगम तट पर महाकुंभ मेला में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे

Jan 12, 2025 12:09

प्रयागराज का महाकुंभ मेला इस बार भी भव्यता और श्रद्धा के साथ जारी है। संगम तट पर लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे हैं और इस वर्ष के अमृत स्नान के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है। धार्मिक और आध्यात्मिक उर्जा से परिपूर्ण यह आयोजन न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर के पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है।

Jan 12, 2025 12:09

Prayagraj News : उत्तर प्रदेश भारत की महान धार्मिक परंपरा का प्रतीक महाकुंभ मेला पूरे भव्यता और श्रद्धा के साथ जारी है। देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालु प्रयागराज के संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे हैं। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान के साथ श्रद्धालु ध्यान, पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन में तल्लीन हैं। तड़के सुबह से ही स्नान घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

महाकुंभ की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता
महाकुंभ मेला हर 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है। यह भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक – में चक्रव्यूह की तरह होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें इन स्थानों पर गिरी थीं। यह आयोजन आत्मा की शुद्धि, पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति का अवसर माना जाता है। कुंभ की धार्मिक मान्यता है कि संगम में स्नान करने से व्यक्ति अपने पूर्वजन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है। श्रद्धालु स्नान के बाद विशेष मंत्रों का उच्चारण कर सूर्य को अर्घ्य देते हुए अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना कर रहे हैं। घाटों पर गूंज रहे “हर हर गंगे” और “जय गंगा मैया” के जयघोष ने वातावरण को पूरी तरह आध्यात्मिक बना दिया है।

संगम तट पर साधु-संतों का जमावड़ा
महाकुंभ मेले की एक खासियत यह भी है कि यहां साधु-संतों और अखाड़ों का विशेष महत्व है। साधु-संत अपने-अपने शिविरों में प्रवचन, ध्यान और पूजा-पाठ के आयोजन कर रहे हैं। विभिन्न अखाड़ों के नागा साधु आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, जो अपने आध्यात्मिक प्रदर्शन और साधना के तरीकों से श्रद्धालुओं को प्रभावित कर रहे हैं। संगम क्षेत्र में संत और महात्मा गहरी साधना में लीन हैं। श्रद्धालु इन साधुओं के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। साधुओं द्वारा किए जा रहे यज्ञ और हवन में भाग लेने से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और मानसिक शुद्धि की अनुभूति हो रही है।

प्रशासन ने किया विशेष प्रबंध
प्रशासन ने इस बार महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए विशेष इंतजाम किए हैं। 
सुरक्षा व्यवस्था: पुलिस, होमगार्ड और पैरा मिलिट्री बलों की तैनाती सुनिश्चित की गई है। जगह-जगह सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन के जरिए निगरानी की जा रही है।
सफाई और स्वास्थ्य सेवाएं: स्नान घाटों और मेला क्षेत्र में स्वच्छता बनाए रखने के लिए सफाईकर्मी तैनात हैं। स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कैंप और एम्बुलेंस सेवाओं की व्यवस्था की है।
परिवहन सुविधा: श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रेलवे और बस सेवाओं का विस्तार किया गया है। भीड़ प्रबंधन के लिए स्पेशल ट्रेनें और बसें चलाई जा रही हैं।

विदेशी पर्यटकों की भागीदारी 
महाकुंभ मेला केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस साल महाकुंभ में 40 करोड़ के आने की उम्मीद है। विदेशी पर्यटक भारतीय संस्कृति, योग और आध्यात्मिकता को करीब से देखने और समझने के लिए इस आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। उनके लिए विशेष गाइड और अनुवादकों की व्यवस्था की गई है।

आध्यात्मिकता और उत्साह का संगम
महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक है। यहां आकर श्रद्धालु स्वयं को भगवान के करीब महसूस करते हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। श्रद्धालु अपने अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि महाकुंभ में शामिल होना उनके जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है। यह मेला उन्हें नई ऊर्जा, सकारात्मकता और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। महाकुंभ का यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि मानवता को एकजुट करने और भारतीय सभ्यता की महानता को दर्शाने का अद्भुत उदाहरण है।
 

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