इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है और हाथरस के तत्कालीन जिलाधिकारी (DM) तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को जवाबी हलफनामे के साथ 15 जनवरी को कोर्ट में तलब किया है...
हाथरस भगदड़ मामले पर हाईकोर्ट सख्त : DM-SSP को कोर्ट में पेश होने का आदेश, पूछा-हादसे का जिम्मेदार कौन?
Jan 08, 2025 13:17
Jan 08, 2025 13:17
कुंभ मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के दिए निर्देश
हाईकोर्ट ने प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ के आयोजन को लेकर प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि हाथरस की घटना से सीखते हुए वहां पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए जाएं। कोर्ट ने इस आदेश की कॉपी हाथरस के CJM, उत्तर प्रदेश के गृह सचिव, आयुक्त, जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर को भेजी है। जब हाथरस में यह भगदड़ हुई थी, तब डीएम आशीष कुमार और एसपी निपुण अग्रवाल थे, जो अब इस मामले में जवाबदेह ठहराए गए हैं।
महाकुंभ में सुरक्षा पर दिया जोर
कोर्ट ने महाकुंभ के आयोजन को लेकर विशेष रूप से सुरक्षा पर जोर दिया है। न्यायमूर्ति शेखर यादव ने कहा कि प्रयागराज में लाखों श्रद्धालु आएंगे और प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री स्वयं व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर रहे हैं, बावजूद इसके प्रशासन की लापरवाही से अप्रिय घटनाएं हो सकती हैं। इस अवसर पर उचित प्रशासनिक व्यवस्था से प्रदेश और देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी एक अच्छा संदेश जाएगा।
प्रशासनिक व्यवस्था की कमी से होती हैं ऐसी घटनाएं- हाईकोर्ट
जस्टिस शेखर यादव ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं, जहां गरीब और अनपढ़ लोगों की बड़ी भीड़ जुट जाती है, लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था की कमी के कारण भगदड़ जैसी घटनाएं होती हैं। श्रद्धालु अपने विश्वास में इतने खो जाते हैं कि कोई भीड़ नियंत्रण उपाय न होने पर दुर्घटनाएं होती हैं। ऐसे आयोजनों में आयोजकों की ओर से उचित इंतजाम न किए जाने पर प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है।
प्रशासन की तरफ से तैनात किए गए केवल 50 पुलिसकर्मी
इस घटना में सरकार ने स्वीकार किया कि आयोजकों ने 80 हजार लोगों की भीड़ के लिए अनुमति ली थी, लेकिन वहां ढाई लाख लोग जुट गए। जैसे ही भोले बाबा के प्रवचन समाप्त हुए, लोग दर्शन के लिए उस दिशा में बढ़े, जहां सेवादारों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इसके कारण सैकड़ों लोग एक-दूसरे के नीचे दब गए और भगदड़ मच गई, जिसके चलते 121 लोग मारे गए। प्रशासन की तरफ से सिर्फ 50 पुलिसकर्मी तैनात थे, जो इतनी बड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। यह प्रशासन की स्पष्ट बदइंतजामी थी।
जस्टिस शेखर यादव के बयान से मचा बवाल
गौरतलब है कि 8 दिसंबर को जस्टिस शेखर यादव ने एक कार्यक्रम में टिप्पणी करते हुए कहा था कि कुछ लोग जो देश विरोधी विचार रखते हैं, वे समाज के लिए खतरे की घंटी हैं। उन्होंने "कठमुल्ला" शब्द का उपयोग करते हुए कहा कि ऐसे लोग देश के खिलाफ हैं और इनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। जस्टिस यादव के इस बयान के बाद विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके बयान पर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज का ऐसा व्यवहार उचित नहीं हो सकता।
शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव
इस विवाद के बाद, राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल की पहल पर जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव भी पेश किया गया था, जिस पर 55 सांसदों ने समर्थन किया। इस प्रस्ताव को खारिज करने के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी। वकील अशोक पांडेय ने यह याचिका दाखिल की थी कि राज्यसभा के चेयरमैन को यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ाने का आदेश दिया जाए। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया।
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