भारत सरकार के दूरसंचार विभाग द्वारा इसे 6G तकनीक पर अनुसंधान के लिए चयनित किया गया है। IIIT-A को 5G उपयोग मामलों की प्रयोगशाला के रूप में मान्यता मिली है...
प्रयागराज IIIT को मिली बड़ी जिम्मेदारी : 6G टेक्नोलॉजी पर करेंगे रिसर्च, 'एंड टू एंड संचार' के लिए डेढ़ करोड़ का फंड
Oct 18, 2024 17:31
Oct 18, 2024 17:31
- IIIT इलाहाबाद को मिली बड़ी जिम्मेदारी
- 6जी तकनीक पर करेंगे रिसर्च
- 1.46 करोड़ रुपये का वित्त पोषण प्राप्त हुआ
इन बिंदुओं पर देंगे ध्यान
संस्थान के निदेशक, डॉ. मुकुल शरद सुताओन के अनुसार, उनकी विशेषज्ञ टीम 6G की उपयोगिता, गुणवत्ता, तकनीक और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसके साथ ही, 5G तकनीक के उन्नयन पर भी शोध किया जाएगा, जिससे यह पता चल सके कि इन सेवाओं को कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है और लोगों को उनका अधिकतम लाभ कैसे मिल सकता है।
कई अन्य अनुसंधानों में भी संलग्न
सुताओन ने बताया कि उनका संस्थान वायरलेस संचार, IoT, साइबर सुरक्षा, AI/ML और सिग्नल प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में नवीनतम अनुसंधान में संलग्न है। इसके अलावा, वे भारत सरकार के दूरसंचार विभाग द्वारा शुरू की गई विभिन्न पहलों में भी सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) की विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा (WTSA) 2024, भारतीय मोबाइल कांग्रेस (IMC), और 5G/6G हैकाथॉन शामिल हैं।
6जी, 5जी से कैसे बेहतर?
बता दें कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य यह जांचना है कि 6G सेवा किन तरीकों से 5G से बेहतर हो सकती है। संस्थान ने पहले भी दूरसंचार विभाग के कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है। 6G पर अनुसंधान का फोकस एंड-टू-एंड संचार के लिए एक अर्थपूर्ण शिक्षण आधारित वास्तुकला का डिजाइन और विश्लेषण करना है। यह परियोजना दूरसंचार विभाग (DoT) और दूरसंचार उत्कृष्टता केंद्र (TCOE) के सहयोग से लागू की जाएगी, जिसमें प्रोफेसर नितेश पुरोहित और डॉ. सुनील यादव परियोजना की देखरेख करेंगे।
इनमें मिलेगी सहायता
संस्थान के निदेशक, प्रोफेसर मुकुल शरद ने आगे यह भी बताया कि ट्रिपल आईटी में 5G और 6G सेवाओं पर गहन अनुसंधान होगा, साथ ही वायरलेस संचार, IoT, साइबर सुरक्षा, AI तकनीक और सिग्नल प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भी कार्य किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि नई शोध के परिणाम मोबाइल उपयोगकर्ताओं की निजता को बेहतर बनाने, रेडिएशन को कम करने, सरकारी पहलों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और मोबाइल धोखाधड़ी को रोकने में सहायक होंगे।
प्रोफेसर ने बताया परियोजना का लक्ष्य
प्रोफेसर नितेश पुरोहित और डॉ. सुनील यादव के नेतृत्व में परियोजना टीम ने कहा कि उनका लक्ष्य शैनन प्रमेयों से मौलिक सीमाओं और विचलनों का अध्ययन करना है। इसके अलावा, वे सिमेंटिक कम्युनिकेशन के लिए एक नई संचार वास्तुकला का विकास करेंगे, जिसमें प्रदर्शन विश्लेषण और अनुकूलन के लिए उपन्यास पीयर/क्रॉस-लेयर प्रोटोकॉल, विभिन्न चैनल स्थितियों के तहत सिस्टम प्रदर्शन और वायरलेस नेटवर्क में सिमेंटिक संचार के लिए कुशल एल्गोरिदम का निर्माण शामिल होगा।
छात्रों को मिलेंगे नए अवसर
यह परियोजना दूरसंचार क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। आईआईआईटी-इलाहाबाद, अटल बिहारी वाजपेयी-आईआईआईटीएम ग्वालियर और पीडीपीएम-आईआईटीडीएम जबलपुर के सहयोग से यह पहल तकनीकी विकास और कौशल निर्माण में मदद करेगी। इससे भारत में दूरसंचार उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की उम्मीद है, जिससे उद्योग को लाभ होगा और छात्रों को नए अवसर मिलेंगे।
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