12 साल बाद लगने वाले इस महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े को अग्रणी भूमिका दी जानी थी, लेकिन जूना अखाड़े को प्राथमिकता दी गई, जो संन्यासी परंपरा का सबसे बड़ा अखाड़ा माना जाता है...
त्रिवेणी संगम पर नया इतिहास : 12 साल बाद बदली शाही स्नान की परंपरा, जूना अखाड़े को मिली अगुवाई
Oct 07, 2024 19:50
Oct 07, 2024 19:50
- 13 जनवरी 2025 से शुरू होगा महाकुंभ
- शाही स्नान की परंपरा का नेतृत्व करेगा जूना अखाड़ा
- शाही और पेशवाई नाम बदलने पर सीएम ने जताई सहमति
ये होगा शाही स्नान का क्रम
सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ बातचीत से पहले यह तय किया गया कि शाही स्नान की परंपरा में बदलाव किया जाएगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने इस बात की घोषणा की कि शाही स्नान का नेतृत्व अब जूना अखाड़ा करेगा। इस बार के तीन शाही स्नानों में सबसे पहले जूना अखाड़ा, देवता-निशान और अस्त्र-शस्त्र के साथ शामिल होगा। इसके बाद निरंजनी और आनंद अखाड़े के संन्यासी शाही स्नान के लिए संगम की ओर बढ़ेंगे।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने दी जानकारी
दरअसल, पहले इस परंपरा में महानिर्वाणी अखाड़ा सबसे आगे होता था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत गिरि ने बताया कि जूना अखाड़ा को बहुमत से इस सम्मान के लिए चुना गया है, जो कि विश्व के सबसे बड़े संन्यासी अखाड़ों में से एक है। जूना अखाड़ा को शाही स्नान की ध्वजवाहक परंपरा के लिए सर्व सम्मति से चुना गया है। इसके लिए तैयारियों की शुरुआत अब से ही कर दी गई है, ताकि महाकुंभ का संगम स्नान विश्व समुदाय के लिए एक अनुपम और यादगार अनुभव बने।
सभी परंपराओं को एकजुट करने का प्रयास
वहीं महंत रवींद्र पुरी ने गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश का जिक्र करते हुए कहा कि सभी परंपराओं के संतों को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है। इस बार महाकुंभ में दलित और ओबीसी संतों को भी प्रमुख पदों पर रखा जाएगा, ताकि आध्यात्मिक समरसता का माहौल बनाया जा सके।
सीएम योगी को दी गई सलाह
महाकुंभ की तैयारी के दौरान आनंद अखाड़े के स्वामी शंकरानंद ने सीएम योगी को सलाह दी कि उन्हें अधिकारियों पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रशासनिक असामान्यताएं सरकार की छवि को प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए सीएम को स्वयं सभी तैयारियों की निगरानी करनी चाहिए।
शब्दों को बदलने पर सीएम सहमत
इसके अलावा, महाकुंभ में मुगलों के समय के गुलामी के प्रतीक शब्दों शाही स्नान और पेशवाई को बदलने पर भी चर्चा हुई। अखाड़ा परिषद के संतों ने इस मुद्दे को उठाया और सीएम ने इस पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि इस महाकुंभ में ऐसे शब्दों को हटाने के लिए आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे।
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