विदेशी श्रद्धालुओं में महाकुंभ का क्रेज : थाईलैंड से जापान तक के श्रद्धालु बने संन्यासी, कल्पवास से लेकर जप-तप में डूबे

थाईलैंड से जापान तक के श्रद्धालु बने संन्यासी, कल्पवास से लेकर जप-तप में डूबे
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Jan 16, 2025 10:26

महाकुंभ 2025 में आए विदेशी श्रद्धालुओं ने बताया कि वे प्राचीन भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह रुझान दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।

Jan 16, 2025 10:26

Prayagraj News : महाकुंभ 2025 में भाग लेने वाले विदेशी श्रद्धालुओं में महाकुंभ को लेकर काफी क्रेज देखने को मिल रहा है। विदेशी श्रद्धालुओं ने बताया कि वे प्राचीन भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह रुझान दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है और अब वे ग्लैमर की दुनिया से दूर होकर भारतीय आध्यात्म और संस्कृति से जुड़ने की ओर बढ़ रहे हैं। महाकुंभ के इस विशाल आयोजन में थाईलैंड, रूस, जर्मनी, जापान जैसे देशों से भी लोग सनातन धर्म की गहराइयों को समझ रहे हैं।

थाईलैंड के बवासा बने महेशानंद
थाईलैंड के चूललोंगकोर्न विश्वविद्यालय के शोध छात्र बवासा ने महाकुंभ में आकर संन्यास की दीक्षा ली और अब वे महेशानंद बन चुके हैं। मृगछाला वस्त्र और वैजयंती माला धारण किए हुए, बवासा आवाहन अखाड़े में संतों और श्रद्धालुओं के साथ आत्मीयता से घुलमिल रहे हैं।बवासा ने बताया कि उन्हें महाकुंभ की जानकारी बैंकाक में अपने शिक्षक और शोध छात्रों से मिली थी। उसी समय उन्होंने यह तय कर लिया था कि वे इस आयोजन का हिस्सा बनेंगे। वे महंत कैलाश पुरी के शिविर में ठहरे हुए हैं और महाकुंभ की विविधता और अनुशासन से अभिभूत हैं। उनका कहना है कि सनातन संस्कृति की जीवनशैली और गहराई ने उन्हें आकर्षित किया।

रूस की वोल्गा बनीं गंगा
रूस की राजधानी मास्को से आईं वोल्गा महाकुंभ में सनातन संस्कृति में पूरी तरह से रच-बस गई हैं। उन्होंने पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के स्वामी स्वतः प्रकाश शिविर में दीक्षा ली और अब भगवा वस्त्र धारण कर रही हैं। वोल्गा ने महाकुंभ की आध्यात्मिकता और साधना परंपराओं को आत्मसात किया और खुद को पूरी तरह सनातन धर्म की भक्ति में समर्पित कर दिया।

जापान और जर्मनी से भी विदेशी श्रद्धालु
जापान की कुमिको और जर्मनी के पीटर मार्ट भी संन्यासी वेशभूषा में महाकुंभ का हिस्सा बन रहे हैं। ये विदेशी श्रद्धालु कल्पवास, जप, तप और ध्यान जैसी परंपराओं में हिस्सा लेकर सनातन संस्कृति को करीब से समझने का प्रयास कर रहे हैं।

स्टीव जॉब्स की पत्नी ने भी दिखाई महाकुंभ में आस्था
एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक और हिंदू धर्म के प्रति गहरी आस्था रखने वाले स्टीव आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी पत्नी लॉरेन पॉवल जॉब्स उनके दिखाए आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ रही हैं। र्तमान में दुनिया की सबसे धनी महिलाओं में से एक लॉरेन हाल ही में प्रयागराज के महाकुंभ में पहुंची हैं। वे यहां विशेष रूप से कल्पवास करेंगी। लॉरेन पॉवेल जॉब्स को उनके गुरु निरंजनी पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने अपना शिष्य स्वीकार किया है। उन्होंने उन्हें अपनी 'पुत्री' के रूप में स्थान देते हुए गोत्र प्रदान किया और उनका नामकरण 'कमला' किया।

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