इस आयोजन का मकसद महिलाओं को जागरूक करना और समाज में उनकी भूमिका को मजबूती देना था। महिलाओं की ऊर्जा, दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने उन्हें राष्ट्र निर्माण के प्रति प्रेरित किया।
शक्ति समागम : साध्वी मां ऋतम्भरा बोलीं-राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की प्रेरणादायक भूमिका
Jan 19, 2025 17:51
Jan 19, 2025 17:51
क्या है कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य
इस आयोजन का मकसद महिलाओं को जागरूक करना और समाज में उनकी भूमिका को मजबूती देना था। महिलाओं की ऊर्जा, दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने उन्हें राष्ट्र निर्माण के प्रति प्रेरित किया। इस आयोजन में समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने, हिंदू समाज के जीवन मूल्यों का रक्षण एवं संवर्धन करने और महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए सक्षम बनाने पर बल दिया गया।
इस दौरान मुख्य वक्ता साध्वी दीदी मां ऋतम्भरा ने अपने ओजस्वी भाषण से महिलाओं के भीतर शौर्य और संकल्प का भाव जागृत किया। उन्होंने कहा कि समाज में शौर्य और शक्ति का बोध जागृत करना समय की मांग है। जब समाज का हर वर्ग जागरूक और संगठित होता है, तभी राष्ट्रनिर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि उनके संकल्प में यदि विकल्प न हो, तो वह उन्हें सफलता की ओर ले जाता है।
इस दौरान विहिप के केंद्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने हिंदू धर्म की जड़ों को पहचानने और पंचव्रत-कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, स्व का बोध, पर्यावरण संरक्षण, और नागरिक कर्तव्य के पालन पर जोर दिया। सेवानिवृत्त न्यायाधीश विजयलक्ष्मी ने महिलाओं की भूमिका को राष्ट्रनिर्माण में आधार स्तंभ बताया और सामाजिक समरसता को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। पूर्व कुलपति कल्पलता ने कहा कि महिलाओं को शिक्षा और आत्मनिर्भरता के माध्यम से सशक्त बनाना सबसे बड़ा योगदान हो सकता है।
ये रहे मौजूद
इस मौके पर कार्यक्रम में केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे, कोटेश्वर शर्मा, मीनाक्षी ताई, विनायक राव देशपांडे, प्रज्ञा महाला सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त सरोज जी, पिंकी पंवार, दिव्या सिंह, सुभांगी, पुनम पांडेय, रचना सिंह, और गुड़िया सिंह जैसी हजारों मातृशक्तियाँ भी इस आयोजन का हिस्सा बनीं।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण
महिलाओं को आत्मरक्षा और समाज में उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए गए। हिंदू संस्कृति और परंपराओं की महत्ता पर प्रकाश डाला गया। समाज में व्याप्त छुआछूत और भेदभाव के खिलाफ नारे और संकल्प पत्र पढ़े गए। "शक्ति समागम" ने महिलाओं को एकजुट करने और उनके भीतर समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव जागृत करने में एक बड़ा कदम उठाया। यह आयोजन न केवल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बना, बल्कि यह हिंदू समाज में सामाजिक समरसता और समानता को बढ़ावा देने का एक प्रभावी मंच भी सिद्ध हुआ। महाकुंभ के इस विशेष कार्यक्रम ने दिखाया कि संगठित मातृशक्ति, समाज की जड़ों को मजबूत कर सकती है। इस प्रकार के कार्यक्रम महिलाओं को प्रेरित करते हैं और उन्हें अपनी शक्ति पहचानने का अवसर प्रदान करते हैं।
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