महाकुंभ 2025 : निरंजनी अखाड़े में स्वामी विवेकानंद गिरी बने महामंडलेश्वर, वरिष्ठ संतों और महापुरुषों ने दीं शुभकामनाएं

निरंजनी अखाड़े में स्वामी विवेकानंद गिरी बने महामंडलेश्वर,  वरिष्ठ संतों और महापुरुषों ने दीं शुभकामनाएं
UPT | बर्मा के स्वामी विवेकानंद गिरी को महामंडलेश्वर बनाते पीठाधीश्वर कैलाशानंद गिरी और संत

Jan 23, 2025 14:08

महाकुंभ के दौरान निरंजनी अखाड़े में परंपरा का पालन करते हुए एक विशेष आयोजन के तहत स्वामी विवेकानंद गिरी को महामंडलेश्वर और मधुरम सरल शिवा को श्री महंत की उपाधि से सम्मानित किया गया।

Jan 23, 2025 14:08

Prayagraj News : प्रयागराज महाकुंभ के दौरान निरंजनी अखाड़े में परंपरा का पालन करते हुए एक विशेष आयोजन के तहत स्वामी विवेकानंद गिरी को महामंडलेश्वर और मधुरम सरल शिवा (शिव शक्ति अखाड़ा, फतेहपुर) को श्री महंत की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अखाड़े के आचार्य, पंच संतों और अन्य संत महापुरुषों ने वैदिक मंत्रोच्चारण और विधि-विधान के साथ पट्टाभिषेक किया।
 
महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद गिरी का पट्टाभिषेक
स्वामी विवेकानंद गिरी, जो बर्मा निवासी हैं, को अखाड़े की छावनी में महामंडलेश्वर के पद पर अभिषेक किया गया। समारोह में उन्हें तिलक, चादर और पद का प्रतीक सौंपा गया। अखाड़े के वरिष्ठ संतों और महापुरुषों ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए उनके नए दायित्वों के लिए शुभकामनाएं दीं।
 
मधुरम सरल शिवा बने श्री महंत
शिव शक्ति अखाड़ा (फतेहपुर) से जुड़ी मधुरम सरल शिवा को अखाड़े की परंपरा का निर्वाह करते हुए श्री महंत का पद प्रदान किया गया। बताया गया कि वे 30 जातियों को एक साथ लेकर सनातन धर्म की सेवा कर रही हैं।
 
नवनियुक्त महामंडलेश्वर की भूमिका और संदेश
स्वामी विवेकानंद गिरी ने कहा कि संतों और गुरुजनों ने जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी है, उसे वे पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ निभाएंगे। उन्होंने सभी संत महापुरुषों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया और कहा कि गुरुजन उनके लिए परमात्मा के समान हैं।
 
महामंडलेश्वर पद की महत्ता
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने महामंडलेश्वर पद की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पद केवल उन संतों को दिया जाता है जिन्होंने अपने जीवन में गहन तप, साधना और समाज सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया हो। उन्होंने कहा कि महामंडलेश्वर का मुख्य दायित्व अपने संप्रदाय के संतों और भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना होता है।
 
अखाड़ा परंपरा और गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व
आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी ने बताया कि महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया में गुरु-शिष्य परंपरा का विशेष स्थान है। अखाड़े के प्रमुख संतों और गुरुजनों की सहमति के बाद ही किसी संत को इस पद पर नियुक्त किया जाता है। पट्टाभिषेक समारोह में निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्री महंत रामरतन गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद पुरी (अर्जी वाले हनुमान जी, उज्जैन), महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी अनंतानंद गिरी, स्वामी आदियोगी पुरी, स्वामी आनंदमई माता, महंत दिनेश गिरी, महंत राज गिरी, महंत राधे गिरी, महंत भूपेंद्र गिरी और महंत ओमकार गिरी सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।
 
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज ने इस अवसर पर कहा कि देश को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से एकजुट करने में संत समाज का योगदान अनमोल है। उन्होंने नवनियुक्त महामंडलेश्वर और श्री महंत को आशीर्वाद देते हुए कहा कि यह परंपरा सनातन धर्म के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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