UPPSC परीक्षा विवाद : लाठीचार्ज के बाद सोशल मीडिया पर छाया 'No Normalization' अभियान, कई राज्यों के छात्रों ने दिया समर्थन

लाठीचार्ज के बाद सोशल मीडिया पर छाया 'No Normalization' अभियान, कई राज्यों के छात्रों ने दिया समर्थन
UPT | सोशल मीडिया पर छाया 'No Normalization' अभियान

Nov 11, 2024 15:25

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (UPPSC) द्वारा पीसीएस और समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) की परीक्षाओं को अलग-अलग पालियों में आयोजित करने के फैसले के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन...

Nov 11, 2024 15:25

Prayagraj News : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (UPPSC) द्वारा पीसीएस और समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) की परीक्षाओं को अलग-अलग पालियों में आयोजित करने के फैसले के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन उग्र हो गया है। छात्रों ने एक ही दिन में और एक शिफ्ट में परीक्षा कराए जाने की मांग को लेकर UPPSC कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया। जब प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपनी आवाज़ उठाई और पुलिस से टकराव हुआ तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई।

#UPPSC_No_normalization ट्विटर पर हुआ ट्रेंड
इस लाठीचार्ज के बाद सोशल मीडिया पर विरोध का आगाज हुआ और देखते ही देखते छात्रों का विरोध एक राष्ट्रीय मुद्दे में तब्दील हो गया। छात्रों ने ट्विटर पर #UPPSC_No_normalization हैशटैग के साथ अपना विरोध दर्ज किया, और यह हैशटैग सोशल मीडिया साइट पर एक नंबर पर ट्रेंड करने लगा।

लाठीचार्ज के बाद छात्रों का गुस्सा
लाठीचार्ज के बाद छात्रों का गुस्सा सोशल मीडिया पर फूट पड़ा और #UPPSC_No_normalization हैशटैग ने ट्विटर (एक्स) पर तेजी से ट्रेंड करना शुरू कर दिया। हजारों छात्रों ने इस हैशटैग के साथ अपने विचार और विरोध व्यक्त किया। यूपी, बिहार और दिल्ली समेत कई राज्यों के प्रतियोगी छात्र इस आंदोलन में शामिल हुए और उनका समर्थन लगातार बढ़ता गया।

क्यों हुआ विवाद
विरोध का मुख्य कारण था यूपीपीएससी द्वारा पीसीएस और RO/ARO की परीक्षा को अलग-अलग पालियों में आयोजित करने का फैसला। छात्रों का कहना था कि इस तरीके से परीक्षा में समानता की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती और परीक्षा के परिणाम पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। उनका दावा था कि अलग-अलग शिफ्ट में आयोजित परीक्षा में विभिन्न पेपरों की कठिनाई का स्तर भी अलग-अलग हो सकता है।

प्रदर्शनकारी छात्रों का तर्क
प्रदर्शनकारी छात्रों का यह भी कहना है कि यदि परीक्षा एक दिन और एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाए तो सभी छात्रों के लिए समान अवसर मिलेंगे, जिससे परीक्षा की निष्पक्षता बनी रहेगी। उनका मानना था कि अलग-अलग पालियों में परीक्षा कराने से केवल परीक्षा की निष्पक्षता पर ही सवाल नहीं उठेगा, बल्कि यह भी संभावना है कि पर्सेंटाइल प्रक्रिया से मेरिट लिस्ट पर भी असर पड़े। 

कई राज्यों के छात्रों ने दिया समर्थन
UPPSC के खिलाफ विरोध सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा। उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार और दिल्ली समेत अन्य राज्यों के छात्र भी इस आंदोलन में शामिल हो गए। इन राज्यों में भी छात्रों ने सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ उठाई और विरोध जताया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरने से लेकर ट्विटर (अब एक्स) पर समर्थन देने तक विभिन्न तरीकों से अपनी नाराजगी जाहिर की।

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