खंडपीठ ने नाम बदलकर के मामले में सुनवाई के दौरान जानना चाहा कि पांडे ने अपने नाम से पहले दायर की गई एक समान याचिका के खारिज होने का तथ्य क्यों नहीं बताया। यह पूर्व याचिका, जो 2020 में खारिज कर दी गई थी
नहीं बदलेगा इलाहाबाद हाईकोर्ट का नाम? : 2020 के फैसले का हवाला से सवालों में घिरे वकील, कल होगी सुनवाई...
Jul 03, 2024 18:19
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पारदर्शिता न रखने पर उठे सवाल
न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील अशोक पांडे से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा। न्यायाधीशों ने जानना चाहा कि पांडे ने अपने नाम से पहले दायर की गई एक समान याचिका के खारिज होने का तथ्य क्यों नहीं बताया। यह पूर्व याचिका, जो 2020 में खारिज कर दी गई थी, जिसमें अदालत का नाम बदलकर "प्रयागराज उच्च न्यायालय" या "उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय" करने की मांग कर रही थी।
वकील ने दिए मनगढ़ंत जवाब
इस सवाल के जवाब में वकील पांडे ने स्वीकार किया कि वे पिछली याचिका के खारिज होने के तथ्य को भूल गए थे। उन्होंने यह भी माना कि नई याचिका दायर करते समय उन्हें इस महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा करना चाहिए था। यह स्थिति न्यायिक प्रक्रिया में सत्यनिष्ठा और पारदर्शिता के महत्व को दर्शाती है।
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याचिका पर कल होगी सुनवाई
न्यायालय ने वकील के स्पष्टीकरण को ध्यान में रखते हुए मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई, 2024 के लिए निर्धारित की। इस घटना से कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं। क्या अदालतों के नाम बदलने से न्याय प्रणाली में कोई वास्तविक सुधार होगा? क्या यह केवल एक सतही परिवर्तन है या इसके पीछे कोई गहरा उद्देश्य है? इन प्रश्नों पर विचार करना आवश्यक है, क्योंकि वे न्यायिक सुधारों की प्रकृति और दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।
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