महाकुंभ से पहले जूना अखाड़े का बड़ा फैसला : 13 साल की साध्वी गौरी और गुरु निष्कासित, जानें क्या है पूरा मामला

13 साल की साध्वी गौरी और गुरु निष्कासित, जानें क्या है पूरा मामला
UPT | 13 साल की साध्वी गौरी और गुरु निष्कासित

Jan 10, 2025 22:45

13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ से पहले जूना अखाड़े ने अहम फैसला लिया है। कुछ समय पहले अखाड़े में शामिल हुई 13 वर्षीय साध्वी गौरी गिरि और उनके गुरु कौशल गिरि को अखाड़े से बाहर कर दिया गया है...

Jan 10, 2025 22:45

Prayagraj News : 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ से पहले जूना अखाड़े ने अहम फैसला लिया है। कुछ समय पहले अखाड़े में शामिल हुई 13 वर्षीय साध्वी गौरी गिरि और उनके गुरु कौशल गिरि को अखाड़े से बाहर कर दिया गया है। नाबालिग साध्वी को नियमों का उल्लंघन करते हुए शामिल करने का मामला सामने आने के बाद आमसभा की बैठक में यह निर्णय लिया गया। लड़की को तुरंत माता-पिता के सुपुर्द कर गुरु को मेला क्षेत्र छोड़ने का आदेश दिया गया है।
 
आईएएस बनना चाहती थी गौरी गिरि
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि अब 22 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को संन्यास दीक्षा नहीं दी जाएगी। जूना अखाड़े के संत कौशल गिरि ने हाल ही में आगरा के व्यापारी संदीप सिंह और उनकी पत्नी रीमा की उपस्थिति में उनकी बेटी राखी सिंह धाकरे को साध्वी के रूप में दीक्षा दी थी। उन्होंने राखी का नाम बदलकर गौरी गिरि रखा। इस दौरान एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें गौरी गिरि ने कहा कि वह आईएएस बनना चाहती थी, लेकिन उसे अखाड़े में शामिल कर दिया गया।



अखाड़ा थाने में हुई पंचायत
वीडियो सामने आने के बाद यह मुद्दा गर्मा गया और पुलिस ने मामले में हस्तक्षेप किया। शुक्रवार को अखाड़ा थाने में पंचायत हुई, जिसमें संतों ने कहा कि गौरी गिरि को अखाड़े में शामिल नहीं किया गया था। इसके बाद जूना अखाड़े की मेला छावनी में एक और पंचायत हुई, जिसमें संरक्षक महंत हरि गिरि, अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि और प्रवक्ता नारायण गिरि की मौजूदगी में निर्णय लिया गया कि कौशल गिरि और गौरी गिरि उर्फ राखी को तत्काल प्रभाव से जूना अखाड़े से निष्कासित किया जाएगा। इसके साथ ही, उन्हें महाकुंभ से बाहर जाने को कहा गया।

साध्वी बनने पर रखी यह शर्त
जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि ने बताया कि लड़की को तब तक अखाड़े में शामिल नहीं किया जाएगा, जब तक वह 22 साल की नहीं हो जाती। उन्होंने कहा कि लड़की को अखाड़े के नियमों को तोड़कर शामिल किया गया था। अखाड़े की परंपरा के अनुसार, पहले सहमति का कच्चा दस्तावेज लिया जाता है और छह महीने बाद पक्का दस्तावेज लिया जाता है। बिना इस प्रक्रिया के लड़की को शामिल करना नियमों का उल्लंघन था, इसलिए उसे निष्कासित करने का निर्णय लिया गया है।

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